देश में सत्ता परिवर्तन नहीं व्यवस्था परिवर्तन के लिए जिम्मेदारी उठाए ,सामाजिक संगठन एवं भूतपूर्व सैनिक-: सुबेदार वीर सिंह चौहान


सतना (स्वतंत्र प्रयाग) सामाजिक संगठन विजयी भारत के बैनर तले देश के विभिन्न प्रांतों से आए हुए सामाजिक कार्यकर्ता, भूतपूर्व सैनिक एवं सामाजिक चिंतकों ने सतना के एक होटल में भारतीय आम जनमानस को होने वाली समस्याओं व गिरते हुए राजनीतिक स्तर एवं लोकतंत्र के स्तंभों पर चिंतन किया।

देश में विभिन्न पार्टियों के गिरते हुए राजनैतिक स्तर को लेकर चिंतन किया गया चिंतन के उपरांत निर्णय लिया गया कि राष्ट्रीय स्तर पर एक संस्था का गठन किया जाना जनहित में जरूरी है जो देश के आम जनता की समस्याओं को समाधान की तरफ ले जाने का कार्य करें जिसके उपरांत सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया और विजय भारत अखंड भारत के बैनर तले कार्य करने की सहमति बनी साथ ही नई संस्था की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन भी किया गया।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  ब्रिगेडियर डॉ देवेंद्र सिंह ने देश के वर्तमान हालात परिवेश पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के तीन स्तंभ  क्या आज अपना-अपना काम सही-सही कर रहे हैं? ये सब काम तो कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके काम-काज में कोई बुनियादी कमी आ गई है कि या तो एक स्तंभ का काम दूसरे से लिया जा रहा है या कोई स्तंभ स्वयं इतना पस्त हो गया है कि उसका किया न अनकिया देश में बराबर होता जा रहा है। देश की संसद में आजकल असहिष्णुता पर बहस चलती है। इससे बढ़कर नकली बहस क्या हो सकती थी? यह बहस जितने आक्रामक ढंग से चलती रही, उसी से सिद्ध हो गया कि देश बड़ा सहनशील है। ऐसी बहस क्या रूस, चीन या किसी अरब राष्ट्र में चल सकती है? इस बहस का नतीजा क्या निकला?

आज देश में जब कार्यपालिका, विधानपालिका और खबरपालिका का हाल बुरा है तो बेचारी न्यायपालिका क्या करे? देश के चौथे स्तंभ का यह हाल है कि जैसा चेहरा होगा, वैसा प्रतिबिंब होगा। टीवी चैनलों पर कोई गंभीर विचार-विमर्श नहीं होता। पार्टी-प्रवक्ताओं की तू-तू, मैं-मैं ने टीवी पत्रकारिता को टीबी (तीतर-बटेर) पत्रकारिता बना दिया है। इस धमाचौकड़ी से हमारी प्रिंट मीडिया कुछ हद तक अभी बचे हुए हैं, लेकिन क्या हम आशा करें कि हमारे लोकतंत्र का यह दौर अल्पकालिक सिद्ध होगा और इसके चारों स्तंभ शीघ्र ही अपना-अपना काम सही-सही करने लगेंगे.?

वही पर विशिष्ट अतिथि स्वामी दयाशंकर महाराज ने कहा कि हमारे राजनैतिक जनप्रतिनिधियों के मूल अब बदल गए हैं, और भाई को भाई से लड़ाने का कार्य किया जा रहा है। इसे रोकना हम सबकी जिम्मेदारी है

इस अवसर पर मुख्य रूप से वीर सिंह चौहान दिल्ली, आसमा जी दिल्ली, पूर्व सैनिक लालचंद यादव हरियाणा ,संदीप शास्त्री दिल्ली, सिराज साहिल दिल्ली ,एसएन श्रीवास्तव, (एडवो) मुकेश कुमार मिश्र, उत्तर प्रदेश,एस एन श्रीवास्तव यूपी, दीपक तिरंगा यूपी कौशल किशोर उपाध्याय यूपी ,बालकिशन यादव सोनभद्र यूपी सुरेश सिंह सतना ,अरुण सिंह, नीतू मिश्रा, राकेश गर्ग ,अरुण वर्मा, इकबाल जी, राजाराम सिंह, जतिन आदि सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्ता व शहर वासियों की उपस्थिति दर्ज हुई

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