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विजयी भारत (अखंड भारत) की एक दिवसीय अहम बैठक संपन्न

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सतना (स्वतंत्र प्रयाग) विजयी भारत (अखंड भारत) संगठन की एक दिवसीय अहम बैठक आज मध्यप्रदेश के सतना जिले में ब्रिगेडियर देवेंद्र सिंह जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई, बैठक में विजयी भारत (अखंड भारत) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय देवसेना ने भी भाग लिया ।  इस बैठक में संगठन के पदाधिकारी व कार्यकर्ता शामिल हुए,बैठक में संगठन के विस्तार को लेकर विभिन्न मुद्दों पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की रणनीति पर गहन मंथन के उपरांत एक रूपरेखा बनाई गई। संगठन को सुचारू रूप से चलाने के लिए अनुशासन समिति का गठन करने का प्रस्ताव पास किया गया, अनुशासन समिति में देश के विभिन्न प्रदेशों के प्रमुख संगठन पदाधिकारी शामिल किए जाएंगे, संगठन को लंबे समय तक चलाने के लिए अनुशासन का पालन करना जरूरी होता है, इसी को ध्यान में रखते हुए संगठन अनुशासन समिति बनाकर संकल्पों को पूरा करने का कार्य अनुशासन समिति करेगा। बैठक में संगठन का विस्तार देश के हर प्रदेश में करने के लिए विभिन्न प्रदेशों के प्रतिनिधियों को कार्य सौंपा जाएगा । साथ ही साथ संगठन से जुड़े कार्यों तथा आगामी दिनों की कार्य योजना पर अहम चर्चा भी हुई। विजयी भारत ने आ

स्वतंत्र प्रयाग पीडीएफ फाइल

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 स्वतंत्र प्रयाग पीडीएफ फाइल

देश में सत्ता परिवर्तन नहीं व्यवस्था परिवर्तन के लिए जिम्मेदारी उठाए ,सामाजिक संगठन एवं भूतपूर्व सैनिक-: सुबेदार वीर सिंह चौहान

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सतना ( स्वतंत्र प्रयाग ) सामाजिक संगठन विजयी भारत के बैनर तले देश के विभिन्न प्रांतों से आए हुए सामाजिक कार्यकर्ता, भूतपूर्व सैनिक एवं सामाजिक चिंतकों ने सतना के एक होटल में भारतीय आम जनमानस को होने वाली समस्याओं व गिरते हुए राजनीतिक स्तर एवं लोकतंत्र के स्तंभों पर चिंतन किया। देश में विभिन्न पार्टियों के गिरते हुए राजनैतिक स्तर को लेकर चिंतन किया गया चिंतन के उपरांत निर्णय लिया गया कि राष्ट्रीय स्तर पर एक संस्था का गठन किया जाना जनहित में जरूरी है जो देश के आम जनता की समस्याओं को समाधान की तरफ ले जाने का कार्य करें जिसके उपरांत सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया और विजय भारत अखंड भारत के बैनर तले कार्य करने की सहमति बनी साथ ही नई संस्था की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन भी किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  ब्रिगेडियर डॉ देवेंद्र सिंह ने देश के वर्तमान हालात परिवेश पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के तीन स्तंभ  क्या आज अपना-अपना काम सही-सही कर रहे हैं? ये सब काम तो कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके काम-काज में कोई बुनियादी कमी आ गई है कि या तो एक स्तंभ का