अधर्म का नाश करने के लिए मानव रूप में ईश्वर का होता है अवतार

करारी के शनि धाम में बृहस्पतिवार को श्रीकृष्ण के प्रसंग का हुआ वर्णन
करारी,प्रयागराज:(स्वतंत्र प्रयाग): भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि जब-जब इस धरा पर धर्म की हानि होती है और अधर्म, अत्याचार, अन्याय, अनैतिकता बढ़ती है। तब-तब धर्म की स्थापना के लिए मनुष्य रूप में अवतार धारण करते हैं। यह बातें स्वामी संपूर्णानंद महाराज ने करारी के शनि धाम में चल रही श्रीकृष्ण कथा यज्ञ के तीसरे दिन बृहस्पतिवार को कथा सुनाते हुए कही।
उन्होंने कहा कि प्रभु का अवतार धर्म की स्थापना, अधर्म का नाश, साधु-सज्जन पुरुषों का परित्राण करने के लिए और असुर, अधर्मी, अभिमानी, दुष्ट प्रकृति के लोगों का विनाश करने के लिए होता है। उन्होंने कहा कि जब-जब मनुष्य ईश्वर भक्ति के सनातन, पुरातन मार्ग को छोड़कर मनमाना आचरण करने लगता है तो इससे धर्म के संबंध में अनेक भ्रांतियां फैल जाती हैं।
धर्म के नाम पर विद्वेष, लड़ाई-झगड़े, भेदभाव, अनैतिक आचरण होने लगता है। तब प्रभु अवतार लेकर इन बाह्य आडंबरों से त्रस्त मानवता में ब्रह्मज्ञान द्वारा प्रत्येक मानव के अंदर वास्तविक धर्म की स्थापना करते हैं। हम ऐसे महापुरुष की शरण में जाकर ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करें। तभी हम कृष्ण जन्म प्रसंग का वास्तविक लाभ उठा पाएंगे। कथा के बाद महाआरती कर प्रसाद वितरण किया गया।
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