श्रीमद्भागवत कथा के आठवें दिन विवाह के मंचन से माहोल हुआ भक्तिमय
लालापुर,प्रयागराज:(स्वतंत्र प्रयाग): क्षेत्र के डेराबारी गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में आठवे दिन रविवार को कृष्ण-सुदामा की लीला की कथा व रुक्मणि के विवाह का मंचन किया गया। जिसे सुन वहां पर मौजूद भक्तों ने जयकारे लगाए। गांव के हुई कथा से वहां का माहौल भक्तिमय हो गया है।
श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक कृष्णानन्द महाराज ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा अच्छे मित्र थे।गोकुल में वह एक साथ खेल-खेलकर बड़े हुए। बाद में पाप का अंत करने के लिए भगवान मथुरा आ गए। वहां पर उन्होंने कंस का संहार किया। कृष्ण के मथुरा जाने के बाद सुदामा के घर काफी गरीबी आ गई।
स्थित यह हो गई कि उनके घर दो जून के रोटी के लाले पड़ गए।गरीबी से तंग सुदामा की पत्नी सुशीला ने सुदामा से कहा कि तुम अपने बचपन के मित्र श्रीकृष्ण से मिलो, वह मदद कर सकते हैं।पत्नी के कहने पर सुदामा बचपन के मित्र से मिलने के लिए तैयार हुए।जाते समय सुशीला ने सुदामा को चावल दिया और कहा कि इसे भेंट में श्रीकृष्ण को देना।
जब सुदामा मथुरा पहुंच कर द्वार पाल के माध्यम से सूचना दिया तो भगवान दौड़कर सखा सुदामा से गले मिले।वहां पर उपस्थित लोग आश्चर्य चकित हो गए। सुदामा का भगवान श्रीकृष्ण से स्वागत सत्कार किया। बाद में पूछा की भाभी ने हमारे लिए कुछ भेजा है।तब सुदामा ने चावल दे दिए।
भगवान ने उस चावल में से दो मुट्ठी चावल खाया तो सुदामा दो लोक के मालिक हो गए।जब उन्होंने तीसरी मुट्ठी में चावल लिया तो रुक्मणि ने रोक दिया। प्रभु यदि आपने यह चावल खाया तो एक लोक जो बचा हुआ है, उसके मालिक भी सुदामा हो जाएंगे और देवता कहां जाएंगे।
कहा कि लोगों को भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा की मित्रता से सीख लेनी चाहिए। इससे पूर्व भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मणि के विवाह की लीला का मंचन किया है।
भागवत कथा सुनकर ग्रामीण भाव विभोर हो गये।इस मौक़े पर मुख्य यजमान पूर्व प्रधान सुरेंद्र नाथ द्विवेदी व कलावती,अनिल,सुनील द्विवेदी,सुशील,राज किशोर,अंकित शुक्ल,विनोद त्रिपाठी,बड़का शुक्ल,अमर सिंह,नंदलाल पाल,रामकुमार पाल,पंकज शुक्ल,बालक चंद्र पांडेय,सुरेश चंद्र,रमेश पांडेय।
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