निहायत सादगी, शालीनता और भाई चारे के माहौल में मनाई गई बक़रीद


अपराध संवाददाता

यमुनापार, प्रयागराज:(स्वतंत्र प्रयाग): लालापुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आज बुधवार को अरेबिक कैलेंडर के बारहवें महीने यानी जिलहिज्जा की दस तारीख़ को ईदुल अजहा बक़रीद का त्योहार बड़ी ही सादगी, शालीनता और शांतिपूर्ण तरीके से मनाया गया। इस त्योहार की पांच बड़ी विशेषताओं में से सभी पर कोरोना, गाइडलाइंस, मंहगाई, बेरोजगारी तथाआर्थिक मंदी का असर साफ दिखाई दिया।

नमाजे ईदुल अजहा गिनी चुनी मस्जिदों में ही पढ़ी जा सकी । हालांकि जिला प्रशासन की तरफ से पच्चास नमाजियों तक मस्जिदों में पहुंचने की इजाज़त थी, फिर भी अकीदतमंदों ने अपने अपने घरों में नमाज अदा करना ज़्यादा मुनासिब व सुरक्षित समझा ।

 इस त्योहार की दूसरी खूबी राह खुदा में दी जाने वाली जानवरों की कुर्बानी है। आर्थिक मंदी तथा मंहगाई ने आम मुसलमानों की कमर तोड़ दी हैं। दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल है। ऐसे में जानवर खरीद कर कुर्बानी करवाना बेहद मुश्किल मसला बना रहा।

बमुश्किल बीस प्रतिशत लोग ही दो हज़ार उन्नीस की तुलना में इस बार कुर्बानी के फरीजे को अंजाम दे सके। गरीब, बकरे का गोश्त खाने को तरस गए।कुर्बानी का गोश्त बड़े शौक़ से गरीबों, रिश्तेदारों, बेवाओं वमुस्लिम समाज के जरूरतमंदों में तकसीम करने की शरई ताकीद है।

 जिन लोगों ने कुर्बानी कराई भी वे गोश्त के मुस्ताहक लोगों तक इसे पहुंचाने में बड़ी जद्दोजहद करते पाए गए । महामारी व पुलिस के डर ने इस वाजिब अमल को कार्य रूप में परिणत नहीं होने दिया।बक़रीद पर रिश्तेदारों के घर जाकर उन्हे मुबारकबाद देने व ईदी के रकम की आदान प्रदान की परम्परा रही।

 इस बार जब लोग घरों से ही बहुत कम संख्या में निकले तो कैसी मुबारकबाद व ईदी। छोटे बच्चे दिनभर रिश्तेदारों के आने का इंतज़ार ही करते रह गए। यह लगातार दूसरा बरस है जब बक़रीद का त्यौहार महामारी सहित प्रशासनिक पाबंदियों से बेहद फीका व उत्साह हीन रहा।जिए तो अगले बरस हम हैं और ये खुशियां हैं, जो मर गए तो ये अपना सलामे आख़िर है।

सुरेन्द्र पांडेय

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