राजर्षि, महामहिम श्री श्री श्री नलवाड़ी कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ की आज जयंती
मैसूर (स्वतंत्र प्रयाग) राजर्षि, महामहिम श्री श्री श्री नलवाड़ी कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ (4 जून 1884 - 3 अगस्त 1940 बेंगलोर पैलेस), नलवडी कृष्ण राज वाडियार कन्नड़ के नाम से लोकप्रिय शासक की आज जयंती भी है, वे 1895 से लेकर 1940 तक श्री कृष्ण राज़ अपनी मृत्यु तक राजसी शहर मैसूर के सत्तारूढ़ यदुवंशी महाराजा थे। जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था, तब भी वे भारतीय राज्यों के यशस्वी शासकों में गिने जाते थे। अपनी मौत के समय, वे विश्व के सर्वाधिक धनी लोगों में गिने जाते थे, जिनके पास 1940 में $400 अरब डॉलर की व्यक्तिगत संपत्ति थी जो 2021 की कीमतों के अनुसार लगभग $75 बिलियन डॉलर के बराबर होगी।
इतिहास के पन्नों में विदित है कि वे हिमालय के निकट उत्तरी क्षेत्र से कर्नाटक आए थे और वहां की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर वहीं पर अपना निवास स्थान बना लिया था। राजवंश की स्थापना 1399 में यदुराया वोडेयार ने की थी। उन्होंने 1423 तक विजयनगर साम्राज्य के तहत मैसूर पर शासन किया। यदुराया वोडेयार के बाद, मैसूर राज्य वाडियार शासकों द्वारा सफल रहा। इस प्रारंभिक अवधि में राज्य काफी छोटा रहा और विजयनगर साम्राज्य का एक हिस्सा था। 1565 में विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद, मैसूर साम्राज्य स्वतंत्र हो गया और 1799 तक ऐसा ही रहा। यह राजवंश वैदिक यदु महाराजा के नाम पे स्थापना किया गया था यदुवंशी क्षत्रीय राजवंश वर्तमान में राजा महाराजा के तरह अभी भी सिंहासन पे बैठते हैं नाल्वडि कृष्णराज वाडियार चतुर्थ (1895 से 1940) तक का शासन काल प्रमुख था ,
24वें शासक व मैसूर राज्य के एक तरह से अंतिम शासक के रूप में भी उन्हें आज भी याद किया जाता है। आज के ही दिन 1984 को जन्में एचएच श्री कृष्णराज वाडियार की जयंती के अवसर पर मैसूर में आज भी उन्हें काफी श्रद्धा से शत् शत् नमन किया जाता है।
राजर्षि, महामहिम नलवाड़ी कृष्णराज वोडेयार चतुर्थ का वाराणसी से भी खास रिश्ता रहा है। दरअसल कृष्णराज वाडियार काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पहले चांसलर थे, माना जाता है कि महामना की बगिया बीएचयू की स्थापना के बाद से ही वह अपने राज्य में शिक्षा के प्रसार के लिए प्रयासरत थे ,बीएचयू के हित में उन्होंने आर्थिक तौर पर बीएचयू को समृद्ध करने के साथ ही परिसर के विस्तार पर भी ध्यान दिया , उन्होंने बीएचयू के बाद मैसूर विवि भी अस्तित्व में उनके प्रयासों से आया।
1. कृष्णराज सागर बांध
2. महारानी कॉलेज, बंगलौर की स्थापना।
3.निमहंस अस्पताल, बैंगलोर।
4. मिंटो अस्पताल, बैंगलोर।
5. के.आर. मार्केट, बैंगलोर।
6. बनारस हिंदू कॉलेज, प्रथम चांसलर।
7. भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलौर।
8. शिवानासमुद्र जलविद्युत परियोजना।
9. वनविलसा बांध, चित्रदुर्ग।
10. स्टेट बैंक ऑफ मैसूर की स्थापना।
11. कन्नड़ साहित्य परिषद की स्थापना।
12. मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना।
13. बैंगलोर विश्वविद्यालय (यूवीसीई) की स्थापना।
14. युवराज कॉलेज, मैसूर।
15. मैसूर राज्य रेलवे।
16. मैसूर मेडिकल कॉलेज।
17 बैंगलोर टाउन हॉल।
18. वनविलास महिला और बच्चों का अस्पताल।
19. मांड्या जिला गठन।
20. देश में पहली बार बेंगलुरु में स्ट्रीट लाइट की स्थापना।
21. विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील फैक्ट्री, भद्रावती की स्थापना।
22. चर्च ऑफ सेंट फिलोमेना की स्थापना।
23. ललिता महल पैलेस की स्थापना।
24. शरवती नदी पर हिरेभास्कर बांध की स्थापना।
25. बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना और विधवा लड़कियों के लिए छात्रवृत्ति।
26. बाल विवाह का निषेध।
27. विश्वेश्वरैया नहर की स्थापना।
28. मैसूर आवासीय कृषि विद्यालय की स्थापना।
29. मैसूर सोशल प्रोग्रेस एसोसिएशन की स्थापना।
30. महारानी महिला विज्ञान महाविद्यालय, मैसूर की स्थापना।
31. लकड़ी आसवन कारखाना, भद्रावती।
32. मैसूर क्रोम और टैनिंग फैक्ट्री।
33. गवर्नमेंट साइंस कॉलेज, बैंगलोर।
34. कृष्णराज नगर टाउन की स्थापना।
35. कृष्णा राजेंद्र अस्पताल, मैसूर की स्थापना।
36. सरकार के लाभ के लिए समाज के ज्ञान का उपयोग करने के लिए मैसूर विधान परिषद की स्थापना।
37. स्थापना मैसूर बॉयज स्काउट्स, देश में अपनी तरह का पहला।
38. राजकीय चंदन तेल कारखाने की स्थापना।
39. चैंबर ऑफ कॉमर्स, मैसूर।
40. मैसूर चीनी मिलें, मांड्या।
41. मैसूर लैंप, बैंगलोर।
42. मैसूर पेपर मिल्स, भद्रावती।
43. रमन अनुसंधान संस्थान (आरआरआई) के लिए भूमि।
44. मैसूर केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स फैक्ट्री।
45. कांच और चीनी मिट्टी के बरतन कारखाने, बैंगलोर।
46. सिटी इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट बोर्ड - भारत में अपनी तरह का पहला।
47. मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड की स्थापना।
और भी बहुत से अधिक कार्यों को जनहित में उनके द्वारा किए गए...
उस समय देश के दूसरे सबसे अमीर राजा के साथ ही साथ कर्नाटक और भारत के इतिहास में महान प्रशासक के रूप में महामहिम श्री नलवाड़ी कृष्णराज वोडेयार जी की जयंती के शुभ अवसर पर आज भी मैसूर में बड़े ही श्रद्धा पूर्वक से याद किया जाता है।
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