योग शारीरिक और मानसिक संतुलन का एक शक्तिशाली माध्यम:- प्रो. निलिम्प त्रिपाठी
प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि भारत के पास अमूल्य वैदिक ज्ञान है। योग भारतीय ज्ञान की हजारों साल पुरानी परंपरा है। लोगों को विपरीत परिस्थितियों में भी मन, वचन और कर्म (मन, वचन और कर्म) से शुद्ध होना चाहिए। वर्तमान समय में योग को वैश्विक स्तर पर कोरोना काल में उत्कृष्ट पद्धति की स्वीकृति मिली है, जो हमें जीवन जीना सिखाती है।
महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग दर्शन पर विस्तार से चर्चा करते हुए, प्रो. त्रिपाठी ने यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि का वर्णन विशेष रूप से वर्तमान में प्रासंगिक है।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित यह कार्यक्रम दो चरणों में संपन्न हुआ। प्रातः काल योग गुरु पीके तिवारी एवं विनीत पाण्डेय के कुशल मार्गदर्शन में जिज्ञासु जनों के बीच योग में भाग लिया। स्वस्थ जीवन के लिए प्रशिक्षकों द्वारा योग और प्राणायाम की विभिन्न विधियां सिखाई गईं। सूक्ष्म जानकारी भी दी।
कार्यक्रम की शुरुआत पं. श्रीरंग त्रिपाठी द्वारा प्रस्तुत स्वास्तिवचन गीता श्लोक से हुई। अतिथियों का स्वागत डॉ. अंबिका पांडे द्वारा संचालित समदरिया स्कूल के निदेशक डॉ मणिशंकर द्विवेदी और डॉ बबली द्विवेदी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन द्वारा किया गया। डॉ मधुकराचार्य त्रिपाठी ने तकनीकी जिम्मेदारी को अच्छी तरह से संभाला। प्रदीप शर्मा, प्रभाकराचार्य त्रिपाठी, डॉ सीएस चौबे डॉ विमला मिश्रा, डॉ अश्विनी त्रिपाठी, नीतू सिंह, सुमन, सरला, तृप्ति जायसवाल, बद्री सारदा, रितेश पांडे, गौरी राणा, डॉ बृजेश द्विवेदी, सौम्या द्विवेदी, दिव्या समदरिया आदि प्रमुख इस अवसर पर उपस्थित थे।
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