विकास एवं सुंदरीकरण से कोसों दूर है तुलसी जन्मस्थली राजापुर
चित्रकूट ब्यूरो - रामचरित मानस के रचनाकार संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्म स्थली राजापुर कहने को तो तुलसी जन्म तीर्थस्थली कहा जाता है। लेकिन यहां व्यवस्था और विकास भविष्य के गर्भ में छिपा है। योगी आदित्यनाथ सूबे में मुख्यमंत्री पद की जब शपथ ली तो राजापुर वासियों के हृदय में एक आशा का दीप जगमगाया था। लोगो को लगा कि अब तुलसी नगरी के दिन बहुरेंगे। लेकिन यह तो एक सपना मात्र साबित हुआ। सत्तासीन होने से पहले राजापुर में विकास के वादे तो बड़े-बड़े हुए लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग रही। यहाँ की टूटी सड़के , बहती नालियां ,सड़को का जलभराव,टूटी पाइप लाइने, जनउपयोगी सुविधाओं का अभाव यहां की हकीकत है। दरअसल स्थानीय व जिले के बड़े नेताओं की शिथिलता इसका कारण है। इच्छाशक्ति की कमी के चलते यह दयनीय स्थिति नजर आ रही है।
स्थानीय समाजसेविका सरिता पाण्डेय का कहना है कि संत तुलसीदास जी ने पत्नी रत्नावली की प्रेरणा से मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम को जनमानस के हृदय में नारायण का दर्शन कराया। उनके सदगुणों को रामचरित मानस जैसे पौराणिक महाकाव्य के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाया। ऐसे जननायक राम-भक्त की नगरी का ऐसा बुरा हाल सरकार व स्थानीय नेताओं के वादों की पोल खोल रहा है। फिलहाल तुलसी तीर्थ स्थली के प्रति उक्त सौतेले व्यवहार से आम जनमानस क्षुब्ध है।
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