लोकमंगल संस्थान में कलाकारो ने बांधी समां

 


करछना/प्रयागराज (स्वतंत्र प्रयाग) करछना क्षेत्र के रामपुर स्थित लोकमंगल संस्थान में शनिवार को लोक कलाकारों द्धारा प्रस्तुत वर्षा गीतों ने खूब समां बांधी।अपनी लोक संस्कृति,परंपरा और अतीत के गंवई गीतों की सर्जना को नया आयाम दे रहे कार्यक्रम की अध्यक्षता योगेन्द्र शुक्ल और गीतकार राजेन्द्र शुक्ल ने संचालन किया।नेब्बूलाल यादव द्धारा प्रस्तुत देवी वंदना के उपरांत आकाशवाणी दूरदर्शन के चर्चित लोक गायक रामबाबू यादव ने, बरषा रितु के होइगै आवन,धरा सुहावन लागे ना जैसे कजरी गीतों पर खूब तालियां बटोरी।श्यामलाल बेगाना का कजरी गीत,रूनझुन खोल हो केवरिया,हम विदेशवा जाबै ना और राम अवतार कुशवाहा का स्वच्छता कजरी गीत खूब सराहा गया।मोहिनी श्रीवास्तव ने,पिया मेंहदी लिइद मोतीझील से जाइके साइकिल से ना की प्रस्तुति के साथ रिमझिम फुहारे भी पड़ने लगी।मोनू मस्ताना के कजरी गीत,सखि नाहि आये हमरे सजनवा ना में बारिश के मौसम में स्त्रि वियोग की अनूठी छाप छोड़ी।


मोहन शुक्ल और जय प्रकाश के वर्षा गीत भी खूब सराहे गये।संस्थान के संरक्षक डॉ.भगवत पांडेय ने कहा कि यही लोक कलाकार हमारे समाज के थाती है।जिन्हे एक मंच पर लाकर अपने पुरखो की विरासत और अपने खेत खलिहान,घर आंगन के गीतों को संजोना बहुत जरूरी है।संस्थान के प्राचार्य राम लोचन सांवरिया ने भी संस्कार गीतों की बानगी देते हुए कलाकारों को तालीम दी।कार्यक्रम के पूर्व कोरोना काल में दिवंगत साहित्यकार कवि अशोक सनेही,कौशलेन्द्र,राजाराम शुक्ल,निर्मलचन्द्र को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी गई।हास्य कवि अशोक बेशरम ने सभी के प्रति स्वागत आभार प्रकट किया।इस मौके पर वेद श्रीवास्तव,मानिक चन्द्र,राजेश शुक्ला,हिन्छलाल पांडेय,फते बहादुर रिषिराज,संतोष मिश्रा,अतुल तिवारी,सबरेज अहमद,रमेश दुबे,सुनील प्रजापति समेत कई लोग मौजूद रहे।

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