सोशल मीडिया तक ही सीमित रह गया विश्व पर्यावरण दिवस


लखीमपुरखीरी(स्वतंत्र प्रयाग) जब देश मे कोरोना जैसी त्रासदी
चल रही है, हजारों लोग बिना आक्सीजन के जान गवा बेठे एक तरफ धड़ल्ले से पेड़ की कटाई भी की जा रही है ऊपर से नए पौधे लगाने के लिये लोगो मे जागरूकता भी कम है और जगह भी कम है ।आज विश्व पर्यावरण दिवस है सभी अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक इसे खुशी से मना भी रहे है पेड़ भी लगा रहे है किंतु किसी की भी निगाह इस पर नही जा रही है कि जो पेंड काटे जा रहे है उसकी तुलना में नए पेंड कितने लगाए जा रहे है कहीं पर जागरूकता भी है तो जगह भी कम है अगर आप शहर में है तो छतों पर गमले में फूल वाले पेड़ तो लगा सकते है वह फूल खुशबु तो दे सकते है पर आक्सीजन नही दे सकते । इस भयंकर कोरोना जैसी बीमारी के लिए ऑक्सीजन टैंकर विदेशो से आये तब जाकर धीरे धीरे देश की स्थिति में सुधार हुआ आज पाँच जून को विश्व पर्यावरण दिवस जरूर है पर ज़मीनी हकीकत कुछ और है सरकार की तरफ़ से इस बार तो बढ़-चढ़कर पेड़ो को लगाने पर जोर देना था और लोगो को भी जागरूक करना था और लोगो को जागरूक होना था हम लोग जागरूक तो जरूर हुए पर केवल मोबाइल के सोशल मीडिया के स्टेटस में कही कही कुछ पेंड लगाकर फोटो खिंचवा कर बस उसी पर आक्सीजन उतपन्न करने के तरीके और ऑक्सीजन का उत्पादन कर दिया गया पेड़ शायद ही लगाए हो लगातार हो रही पेड़ो की अंधाधुंध कटाई से अधिकारी जेब तो भर सकते है पर आक्सीजन कहा से लाएंगे यह नही बता सकते है जिले में जमकर हरे भरे पेड़ो की कटान होती रही है पर शासन की तरफ से पेड़ो की रोपाई पर जोर नहीं दिया गया जब एक सड़क का निर्माण होता है तब उसके दोनों तरफ हजारों पेड़ो को काट दिया जाता है नए पेड़ो को लगाने के बारे में कोई नही सोचता जबकि लोगो को खुद में जागरूक होने की जरूरत है सभी अपने अपने आने वाली पीढ़ी के लिए ज्यादा नही तो एक पेड़ जरूर लगाएं इतना ही नही पेंड लगाने तक सीमित न रहे उसकी सुरक्षा भी करे।

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