विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर युवराज दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हुआ पौधरोपण ,

 


लखीमपुर-खीरी (स्वतंत्र प्रयाग): लखीमपुर खीरी की राष्ट्रीय सेवा योजना की टैगोर इकाई के स्वयंसेवकों ने कोविड- प्रोटोकाल का पालन करते हुए महाविद्यालय परिसर में पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति को हरा भरा बनाने का संकल्प लिया। पौधारोपण कार्यक्रम के तहत प्राचार्य डॉ डीएन मालपानी ,एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी एवं चीफ प्रॉक्टर डॉ सुभाष चंद्रा, वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ डीके सिंह , असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आकाश वार्ष्णेय,असिस्टेंट प्रोफेसर विजय प्रताप सिंह तथा एनएसएस स्वयंसेवकों ने पीपल, नीम, अशोक, आम, सागौन, कदम, नींबू, व सतावर के पौधे रोपित किए। पौधारोपण के पश्चात प्राचार्य डॉ डीएन मालपानी ने विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम परिस्थितिकी तंत्र का पुनर्संरक्षण (Ecosystem Restoration)के बारे में विस्तार से स्वयंसेवकों को बताया।और संकल्प दिलाया कि वे रोपित पौधे की देखभाल के साथ ही अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों को पौधारोपण एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित कर जागरूक करें।


इस अवसर पर डॉ सुभाष चंद्रा ने विश्व पर्यावरण दिवस के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रकृति एवं पर्यावरण के बिना जीवन संभव नहीं है। मानव एवं सभी जीव जंतुओं का अस्तित्व प्रकृति पर ही निर्भर है। जलवायु परिवर्तन, घातक बीमारियों का बढ़ना एवं वैश्विक महामारी करोना काल में ऑक्सीजन की कमी आदि ने सचेत किया है कि प्रकृति एवं पर्यावरण के सुरक्षित रहने से ही हम सब सुरक्षित व स्वस्थ रह सकते हैं। इसलिए साल में किसी एक दिन पर्यावरण संरक्षण की बात ना करके बल्कि रोजमर्रा के जीवन में छोटे-छोटे कार्य जैसे पौधारोपण ,जल संरक्षण, स्वच्छता संबंधी नियमों का अपनी आदत में लाना ,प्लास्टिक तथा पॉलिथीन का प्रयोग ना करना, बिजली के उपकरणों का कम प्रयोग करना ,नजदीकी कामों के लिए साइकिल का उपयोग करना ,कूड़ा कचरा को निर्धारित स्थान पर पहुंचाना तथा जीवन निर्वाह के लिए प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग के साथ उनसे मैत्रीपूर्ण व्यवहार आदि से शुरुआत करने के साथ-साथ पर्यावरण एवं प्रकृति को सुंदर और समृद्ध बनाने के लिए दीर्घकालीन उपायों एवं नीतियों पर अमल करने की आवश्यकता है। इसी क्रम में डॉ डी के सिंह ने घरों के सामने व बाहर फलदार एवं औषधीय पौधों को लगाने के बारे में विस्तार से बताया ।डॉ आकाश वार्ष्णेय ने जीवन सुरक्षा चक्र व पर्यावरणीय सहसंबंध की अवधारणा को स्पष्ट किया और बताया कि पर्यावरण संरक्षण से ही भविष्य सुरक्षित रह सकता है।कार्यक्रम में उपस्थित एनएसएस स्वयंसेवकों ने प्रतिबद्धता व्यक्त की कि हम सब लोग पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने अपने घर एवं आस पास पौधरोपण कर धरा को हरा-भरा बनाने में अपना योगदान देंगें।

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