कोरोना ने छीन लिया मध्यम वर्ग के मुंह का निवाला
फूलबेहड़ /लखीमपुर खीरी: (स्वतंत्र प्रयाग न्यूज़): कोरोना का दूसरा चरण एक ऐसा ख़ौफ़ बना ऐसी लहर चली की लोग नाम लेने से भी डरने लगे थे हालांकि काफी हद तक अब इसपर रोक लग गयी है दूसरे काल के कोरोना ने लाखों को मौत के मुँह ढकेल दिया नौबत यहां तक आ गयी थी कि लोग अपनो को कंधा देने
तक से कतराने लगे थे डर ऐसा की अच्छे अच्छे परिवार एक दूसरे से दूर हो गए कोरोना ने जैसे अपनो को इतना दूर कर दिया जैसे यह आफत उनको कहीं न लग जाए और यह सच भी है कि लोगो ने सही भी किया पर कोरोना के कारण जिसके घरों में मौत हुई उसके बाद अपनो का साथ छूट जाए तब इसका एहसास उस परिवार को रह-रहकर घुटन महसूस करवा रहा होगा एक समय ऐसा आया जब एक एक अस्पताल से दर्जनों लोगों के मरने की सूचना आने लगीं बिना सरकार के लाक ड़ाऊन के लोग घरों में कैद हो गए हालांकि सरकार की नींद भी खुली तब तक देश की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही थी इसके बाद धीरे धीरे लोगो ने जब खुद को मजबूत कर घर मे कैद हुए इसके बाद हालात धीरे धीरे अब सामान्य होते नजर आरहे है अब भी पूरी तरह खत्म नही हुआ फिर भी स्थिति सामान्य हो रही है इस दूसरे चरण के कोरोना संकट ने सबसे ज्यादा मध्यम वर्ग के लोगों को दुखी किया जिनकी आजीविका प्रतिदिन काम करने से चलती थी जब हर काम बन्द था तब एक शख्स एक एक समय के खाने को तरसता था वो था प्राइवेट कर्मचारी जिसको या तो नोकरी से निकाल दिया गया या वो घर पर ही रहा उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ पूरे प्रदेश के हर जिले में लगातार दौरा कर रहे है और हालात भी काफी काबू में है इसके बाद आखिर वो लोग कैसे रहे जिनका धंधा बिल्कुल बन्द हो गया प्राइवेट स्कूल का हाल आज इस कदर खराब है
आशीष श्रीवास्तव प्रबंधक चित्रगुप्त बाल विद्या मंदिर
जिनके अध्यापक की सुधि लेने वाला कोई नही है लगातार दो वर्षों से आखिरी में स्कूल बन्द हो जाना ग्रामीण इलाके स्कूलो के लिये अभिशाप बन गया है आज फूलबेहड़ के चित्र गुप्त बाल विद्या मंदिर के प्रबन्धक आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि जूनियर क्लास मार्च में खुली थी इसके बाद एक महीना पढ़ाई हुई स्कूल बन्द हो गए किसी तरह से अभिभावकों ने फीस नही जमा की प्रबंधक आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार को एक जांच करवानी चाहिए कि जिन स्कूलो को फीस न मिली हो उसका बिजली बिल ओर भी बहुत चीजो में छूट देना चाहिए प्रबन्धक ने कहा अध्यापकों का वेतन कहा से दिया जाए जब स्वत्रंत प्रयाग की टीम ने कस्बे में कई लोगो से इस मुद्दे पर बात की तो सबकी कहानी एक जैसी मिली जूता चप्पल की दुकान चलाने वाले अनुराग ने बताया परिवार में पांच लोग है एक माह से दुकान बन्द है अब एक वक्त की रोटी के लिये इधर उधर लोगो से मदद मांगनी पड़ रही है कपड़ा व्यापारी सतीष कुमार ने बताया कि मई महीने में बहुत सहालग थी पर इस बार सब बन्द रहा पर खुसी इस बात की है बन्द भले ही रहा पर सब सुरक्षित तो है काम आगे मिल जायेगा ऑटो मालिक खतीब कहते है एक महीना से ऑटो खड़ा है आखिर बीमा क़िस्त तो चल ही रही है पर ऑटो खड़ा है सरकार को इस विषय पर ध्यान देकर छूट देने चाहिए अब देंखने वाली बात यह है कि सरकार ऐसे लोगो को क्या सहायता देगी ऐसे ही बहुत लोग है जो जिस ब्यापार में लगा रहा सबकी हालात बाद से बदतर है।
एक ट्रक के मालिक ने बताया कि मेरी ट्रक पिछले लोक डाउन से खड़ी हुई कि आज तक संभलने की स्थिति नही बन पाई फाइनेंस कंपनी को घर का सब जैबर तक बेंच के दे दिया फिर भी पूरा नही हो पयासर्कार का टैक्स चल रहा है बीमा खड़े खड़े खत्म हो गया टैक्स बीमा का पैसा नही है सरकार के पास टैक्स बकाया जमा करना ही पड़ेगा सबसे बड़ी बात तो यह है कि टैक्स से ज्यादा जुर्माना हो गया है ऐसे में सरकार को जुर्माना तो माफ करना ही चाहिए पिछले कोरोना काल मे कुछ छूट आई थी किन्तु आर टीओ विभाग से छूट भी दलालों के भेंट चढ़ गई सरकार को इस तरफ जरूर ध्यान देना चाहिए।
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