गौशालाओं के निर्माण के बाद भी आवारा घूम रहे पशु बने किसानों के लिए मुसीबत

 


शंकरगढ़ / प्रयागराज, (स्वतंत्र प्रयाग), विकासखंड शंकरगढ़ के कई ग्राम सभाओं में गौशाला निर्माण की स्वीकृति मिली थी। अधिकतर ग्राम सभाओं में इसका निर्माण भी हुआ, आंकड़ों के मुताबिक गौशालाओं में पशुओं के रहने खाने का इंतजाम भी किया गया , लेकिन विडंबना है कि आज भी शाम ढलते ही बहुतायत मात्रा में पशु या तो सड़कों पर या तो खेतों में देखे जाते हैं । जिससे राहगीरों सहित किसानों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।


सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गोवंश आश्रय स्थल की जमीनी हकीकत क्या है यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन देखने में आ रहा है की भारी तादाद में गोवंश आश्रय स्थल निर्माण के बाद भी शंकरगढ़ के राम भवन चौराहा, सेन नगर ,कपारी मोड़, रानीगंज, शिवराजपुर ,लाइनपार, बेनीपुर, निराला नगर, कपारी मोड़, मिश्रपुरवा, कटरा, आम गोंदर आदि जगहों पर भारी संख्या में पशु सड़क पर खड़े और घूमते हुए नजर आते हैं जो राहगीरों समेत किसानों के लिए मुसीबत बने हैं।


कपारी के किसान मुन्नालाल ने बताया कि हम लोग धान तो बो लिए हैं लेकिन पशुओं से इतने परेशान हैं कि लगता है कि खेत छोड़ दें। गोबरा हेवार के किसान अशोक का कहना है कि आवारा पशुओं के कारण जितनी लागत हम लोग लगा रहे हैं वो भी निकालना मुश्किल लगता है।


अंतरी कसौटा के एक किसान का कहना है कि पशुओं का छुट्टा खेतों में चरना और झुंड के झुंड पशुओं का खेत में जाकर फसल नष्ट कर देना निश्चित ही एक चिंता का विषय है। सरकार को तुरंत इस पर कोई कानून बनाना चाहिए।


   सवाल खड़ा होता है कि जब गोवंश आश्रय का निर्माण किया गया तो इतनी बड़ी तादाद में छुट्टा मवेशी सड़क पर और खेतों में क्यों टहल रहे हैं । कहीं ऐसा तो नहीं कि जिनके मवेशी हैं वह उन्हें बांधने से परहेज कर रहे हैं। अगर ऐसा है तो उसके लिए क्या उपाय है, इस पर भी विचार करना आवश्यक होगा ।


शंकरगढ़ विकासखंड में वर्तमान मे कुल आठ ग्राम पंचायतों में गोवंश आश्रय स्थल संचालित हैं जिसमें ग्राम सभा बेमराज नींबी , धरा , अकौरिया , टिक रौंही कला , मदुरी , कोहड़ीया तथा चौकठा शामिल है। यदि सड़क पर टहलते हुए पशुओं को गौशालाओं में नहीं रखा जा रहा है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार है इस पर भी विचार किया जाना आवश्यक है ।  


         जो भी हो लेकिन शंकरगढ़ के समूचे क्षेत्र में सड़कों पर तथा खेतों में आवारा घूम रहे, फसलों को नष्ट कर रहे, वाहन सवार राहगीरों के लिए मुसीबत बन रहे पशुओं से क्षेत्र के किसान और आम जन बहुत परेशान हैं जिन का स्थाई हल निकाला जाना आवश्यक है।


 


 


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