कानपुर एनकाउंटर पर सवाल: विकास दुबे मामले में न्यायिक जांच की मांग

 


प्रयागराज,(स्वतंत्र प्रयाग), इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक अधिवक्ता ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर कानपुर में शुक्रवार को हुए दुर्दांत विकास दुबे के एनकाउंटर की न्यायिक जांच कराने की मांग की है।


 


अधिवक्ता विशेष राजवंशी ने चीफ जस्टिस से इस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर राज्य सरकार को न्यायिक जांच का निर्देश देने की मांग की है ताकि लोगों का न्याय की प्रक्रिया में विश्वास बना रहे।


 


चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में अधिवक्ता विशेष राजवंशी ने कहा कि वह यह पत्र इस घटना को लेकर हो रही बदनामी व अपमान की वजह से एक वकील होने के नाते लिख रहे हैं। पत्र में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 20, 21 व 39 ए का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि ये सभी अनुच्छेद देश के प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए हैं और यह भी बताते हैं कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।


 


अधिवक्ता ने लिखा है कि विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाते समय एसटीएफ ने मार दिया है और घटना को मुठभेड़ बताया जा रहा है। 10 जुलाई को ही लोग आशंका जता रहे थे कि पुलिस विकास को पकड़कर एनकाउंटर कर देगी, जो सही निकली।


 


अधिवक्ता ने लिखा है कि एनकाउंटर की सत्यता अब भी अज्ञात है। इसकी विभागीय जांच से निष्पक्ष होना नहीं है क्योंकि पुलिस ने स्वयं ही उसे दोषी मानकर उसके साथ न्याय कर दिया है। पत्र में अधिवक्ता ने यह भी लिखा है।


कि एक वकील के रूप में न्याय प्रक्रिया का मखौल होता हुआ देखकर वह स्वयं को असहज महसूस कर रहा है। पुलिस की इस प्रकार की कार्रवाई यदि दंडविहीन रह जाती है तो देश का प्रत्येक नागरिक भय महसूस करता रहेगा।


 


इसी प्रकार एडवोकेट भव्य सहाय व देवेश सक्सेना और रितेश श्रीवास्तव ने भी चीफ जस्टिस को अलग-अलग पत्र भेजकर विकास दुबे के एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं और न्यायिक जांच की मांग की है।


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