कलम के सिपाहियों को मेरा नमन : रजनीकांत


प्रयागराज, (स्वतंत्र प्रयाग), भारतीय जनता पार्टी  के पूर्व प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एव भाजपा प्रयागराज के विशेष आमंत्रित सदस्य रजनी कान्त ने अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस  के अवसर पर कहा की  प्रेस किसी  भी समाज का आइना होता है।
 


प्रेस की आज़ादी से यह बात साबित होती है कि उस देश में अभिव्यक्ति की कितनी स्वतंत्रता है भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में प्रेस की स्वतंत्रता एक मौलिक ज़रूरत है।
आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं, जहाँ अपनी दुनिया से बाहर निकल कर आसपास घटित होने वाली घटनाओं के बारे में जानने का अधिक वक्त हमारे पास नहीं होता।
 


ऐसे में प्रेस  और  मीडिया हमारे लिए एक खबर वाहक का काम करती हैं, जो हर सवेरे हमारी टेबल पर गरमा गर्म खबरें परोसती हैं  यही खबरें हमें दुनिया से जोड़े रखती हैं।
 प्रेस दुनिया में खबरें पहुंचाने का सबसे बेहतरीन माध्यम भी है वर्त्तमान समय में जब पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है ऐसे विषम समय भी हमारे पत्रकार खबरों की विस्वसनीयता पर ध्यान रखते हुवे अपने कर्तव्यो का निर्वहन कर रहे है।


हम सबको ऐसे कर्मयोगीयो का अभिवादन  करना चाहिए मेरा मानना है की मीडिया की आज़ादी का मतलब है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी राय कायम करने और सार्वजनिक तौर पर इसे जाहिर करने का अधिकार है इस आज़ादी में बिना किसी दख़लंदाजी के अपनी राय कायम करने तथा किसी भी मीडिया के जरिए , चाहे वह देश की सीमाओं से बाहर का मीडिया हो , सूचना और विचार हासिल करने और सूचना देने की आज़ादी शामिल होती है।


आज के समय में 'सूचना संचार प्रौद्योगिकी' तथा सोशल मीडिया के जरिए थोड़े समय के अंदर अधिक से अधिक लोगों तक सभी तरह की महत्वपूर्ण ख़बरें पहुंच जाती हैं  यह समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि सोशल मीडिया की सक्रियता से इसका विरोध करने वालों को भी स्वयं को संगठित करने के लिए बढ़ावा मिला है।


और दुनिया भर के युवा लोग अपनी अभिव्यक्ति के लिए और व्यापक रूप से अपने समुदायों की आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति के लिए संघर्ष करने लगे हैं इसके साथ ही यह समझना भी ज़रूरी है कि मीडिया की आज़ादी बहुत कमज़ोर है  हालांकि मीडिया की सच्ची आज़ादी के लिए माहौल बन रहा है।


लेकिन यह भी ठोस वास्तविकता है कि दुनिया में कई लोग ऐसे हैं, जिनकी पहुंच बुनियादी संचार प्रौद्योगिकी तक नहीं है  जैसे-जैसे इंटरनेट पर ख़बरों और रिपोर्टिंग का सिलसिला बढ़ रहा है, ब्लॉग लेखकों सहित और अधिक इंटरनेट पर पत्रकारों को परेशान किया जा रहा है और हमले किये जा रहे हैं यह बेहद शर्मनाक और निंदा के योग्य है।


पत्रकारों की निंदा कभी भी नहीं की जानी चाहिए, रजनी कान्त ने कहा की 'अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस' प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन, प्रेस की स्वतंत्रता पर बाहरी तत्वों के हमले से बचाव और प्रेस की सेवा करते हुए दिवंगत हुए संवाददाताओं को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है आज से करीब ३० वर्ष पूर्व इस दिवस को मनाने का निर्णय वर्ष 1991 में यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र के 'जन सूचना विभाग' ने मिलकर लिया था तभी से आज का दिन 'अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस' के रूप में मनाया जाता है।


 


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