इमली का बीज सांस नली में फंसने से, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन


 


रायपुर (स्वतंत्र प्रयाग न्यूज): छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री एवं जनता कांग्रेस के प्रमुख अजीत जोगी का आज यहां उपचार के दौरान निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे। जोगी को 9 मई को इमली खाते समय उसका बीज सांस की नली में फंसने के कारण हुए हृदयाघात के बाद राजधानी के नारायणा अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। 


 तभी से वह कोमा में थे। उनके निष्क्रिय मस्तिष्क को सक्रिय करने का तभी से चिकित्सकों द्वारा लगातार प्रयास जारी था, लेकिन 27 मई को की रात में उन्हे फिर दिल का दौरा पड़ा।डाक्टरों ने अथक प्रयास कर और उन्हे कार्डियो पल्मोनरी रेससीटेशन (सीपीआऱ)दिया जिससे उनकी हृदयगति वापस आई।लेकिन उसके बाद उनकी हालत काफी नाजुक हो गई।


 


लगभग 48 घंटे के भीतर जोगी को आज फिर हृदयाघात हुआ। जोगी को बचाने की चिकित्सकों ने पूरी कोशिश की,लेकिन वह विफल रहे और कई बार मौत को मार दे चुके जोगी का निधन हो गया। जोगी मरवाही सीट से छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी डा.रेणु जोगी एवं पुत्र अमित जोगी एवं पुत्र वधू ऐश्वर्या जोगी है। उनकी पत्नी डा.जोगी भी कोटा सीट से विधायक है।


जोगी के पुत्र अमित जोगी ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी और बताया कि उनका अन्तिम संस्कार उनकी जन्मभूमि गौरेला में कल होगा। भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोडक़र 1986 में राजनीति में आए जोगी मध्यप्रदेश को विभाजित कर एक नवम्बर 2000 में बने छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने थे।


वह लगभग तीन वर्ष इस पर पद रहे। 2003 दिसम्बर में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की पराजय होने पर उन्हे पद से हटना पड़ा।राज्य गठन के समय देश के अति पिछड़े क्षेत्रों में शुमार छत्तीसगढ़ को आगे ले जाने के लिए उन्होने अपने प्रशासनिक सेवा के अऩुभवों के आधार पर काफी मजबूत नींव रखी।


उन्होंने राज्य गठन के बाद जहां एक अहम नारा..अमीर धरती के गरीब लोग..दिया। वह प्रयोगवादी थे और नई सोच को आगे बढ़ाने में विश्वास रखते थे। उनके ही कार्यकाल में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई,और उनके ही समय में तीन वर्षीय मेडिकल पाठ्यक्रम शुरू हुआ जिसको लेकर उस समय उनकी काफी आलोचना भी हुई। वर्षों बाद उनक़े इन दो कदमों की सराहना भी हुई।


उन्होंने तीन वर्ष मुख्यमंत्री रहते नई राजधानी का स्थान चिन्हित किया,इसी दौरान राज्य में दूसरा मेडिकल कालेज बिलासपुर में,पहला शासकीय डेन्टल कालेज रायपुर में खुला।एम्स की भूमि भी उन्होने आवंटित की।


उनकी छवि एक दबंग नेता और अच्छे प्रशासक की थी।उनकी मेमोरी बहुत ही अच्छी थी और जिसे एक दो बार मिल लेते थे,उसे नाम से पुकारना उनकी आदत में शुमार था।उनकी यह कला लोगो को उनसे सीधे जोड़ देती थी।


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