भारत सरकार ने खोला किसानों के लिए विदेशी बाजारों का रास्ता 

 



नई दिल्ली (स्वतंत्र प्रयाग न्यूज): सरकार ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी फलों एवं सब्जियों को ऑपरेशन ग्रीन्स में शामिल करने का फैसला किया है जिससे इनके संरक्षण, प्रसंस्करण तथा बिक्री के बुनियादी ढाँचों को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।


इसके साथ ही एग्री कमोडिटी को सीधे विदेशी बाजारों में भी बेचने की किसानों की मांग को सरकार ने मान लिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मांग संबंधी घोषणा आज की। दरअसल किसानों को उपज की बेहतर कीमत दिलाने के लिए सरकार ने इसेंशियल कमोडिटी एक्ट 1955 में बदलाव करने की घोषणा की है।


इससे हर तरह के अनाज, दलहन, तिलहन से जुड़ी फसलें उगाने वाले किसानों को उत्पाद की बेहतर कीमत मिल सकेगी। इससे ग्रामीण क्षेत्र की तस्वीर बदलने में मदद मिलेगी।



अगर उदाहरण के तौर पर देखें तो बिहार के कुछ इलाके में बेहतरीन खुशबू देने वाले धान की कुछ किस्मों का उत्पादन होता है, लेकिन इसेंशियल कमोडिटी एक्ट में आने से इसकी खरीद बिक्री में निजी कंपनियां रुचि नहीं लेती। ऐसे में किसानों को एमएसपी पर ही अपनी फसल को बेचने पर मजबूर होना पड़ता है।


इस किस्म के चावल या इस धान से बने अन्य खाद्य पदार्थों की विदेशों में जबरदस्त मांग है। अब, जब इस कमोडिटी पर यह कानून लागू नहीं होगा तो वह किसानों पर ज्यादा मूल्य पर धान खरीद सकेंगे और इसका विदेशी बाजारों में निर्यात होगा। इससे किसानों को बेहतर कीमत मिलेगी।


इसी कानून की वजह से किसानों को अपना उत्पाद एमएसपी पर बेचने को मजबूर होना पड़ता था। किसी वस्तु की असली कीमत तो बाजार में तय होती है। जब किसानों को पता चलेगा कि अमुक फसल की मांग ज्यादा है तो उसी को उगाएंगे। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और ग्रामीण क्षेत्र में खुशहाली आएगी।


वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने आज यहां आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने और इस क्षेत्र में निजी निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से अब इस कानून में संशोधन की जा रही है। सरकार इस कानून में आवश्यक संशोधन करेगी।


उन्होंने कहा कि किसानों को अपने पंसद के अनुरूप विपणन की सुविधा देने के लिए क़षि विपणन सुधार किया जायेगा। इसके लिए एक कानून बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि किसानों के जोखिम को कम करने , एक निर्धारित रिटर्न दिलाने और गुणवत्ता मानिकीकरण के उद्देश्य से कृषि उत्पाद मूल्य और गुणवत्ता आवश्वासन से जुड़ा एक वैधानिक फ्रेमवर्क बनाया जायेगा।


उधर, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने बताया कि अब तक ऑपरेशन ग्रीन्स में सिर्फ आलू, प्याज और टमाटर आते थे। अब सभी फलों एवं सब्जियों को शामिल करने का निर्णय लिया गया है जिससे इनकी कीमतों में स्थिरता भी सुनिश्चित हो सकेगी।


प्रयोग के तौर पर अभी छह महीने के लिए अन्य फल-सब्जियों को इस मिशन का हिस्सा बनाया गया है। इसके लिए 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया जायेगा। ऑपरेशन ग्रीन्स में कृषि लॉजिस्टिक्स के विकास, प्रसंस्करण सुविधा और पेशेवर प्रबंधन पर ध्यान दिया जाता है। इससे फसलों का संरक्षण लंबे समय तक करने और आपूर्ति श्रृंखला के विकास में मदद मिलती है।


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