कोरोना के खिलाफ लड़ाई में दुनिया के लिए देव दूत बनकर उभरा भारत, प्रधानमंत्री मोदी ने संभाला मोर्चा
वाशिंगटन,(स्वतंत्र प्रयाग)कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में दुनिया के लिए भारत एक देवदूत के रूप में उभर कर सामने आया है अपनी 1 अरब 30 करोड़ जनसंख्या की जरूरतों को समझते हुए भारत ने दरियादिली दिखाते हुए पूरी मानवजाति के लिए अपने द्वार खोल दिए हैं।
महाशक्ति अमेरिका हो या यूरोपीय देश या फिर सार्क के सहयोगी भारत ने हर देश को अपने यहां उपलब्ध दवाई भेजी है, मकसद सिर्फ इतना ही है कि इस भयावह बवंडर से मानव समुदाय को बचा लके लेकिन इस महामारी की मुश्किल घड़ी में भी चीन अपनी विलेनगिरी से बाज नहीं आ रहा है।
न्यूक्लियर हथियार से लेकर ट्रेड व्यापार तक भारत को आंख तरेरने वाले,एनएसजी की सदस्यता से लेकर सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता में अड़ंगा डालने वाले, भारत के आंतरिक मामले पर बेवजह हस्तक्षेप करने वाले देश आज भारत के समक्ष याचक की मुद्रा में खड़े हैं।
भारत की ताकत का अंदाजा दुनिया के शक्तिशाली देशों से लेकर विकासशील व छोटे देशों को भी है, लेकिन भारत कभी उनकी जरूरत बन जाएगा इसका अंदाजा शायद ही उन्हें रहा होगा. इसकी वजह कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाली ऐंटी मलेरिया मेडिसीन हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामॉल (paracetamol) है जिसका भारत सबसे बड़ा उत्पादक है।
दुनिया कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रही थी तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने चुप्पी साध रखी थी पिछले महीने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता चीन कर रहा था और जब अस्थायी सदस्यों ने कोरोना पर चर्चा का प्रस्ताव पेश किया तो चीन ने यह कहकर ठुकरा दिया कि सुरक्षा परिषद जनस्वास्थ्य समस्याओं पर चर्चा का मंच नहीं।
हालांकि, अध्यक्षता जाते ही सुरक्षा परिषद में कोविड19 के प्रभावों पर चर्चा कराई गई इतना ही नहीं उसने जिस भी देश को मेडिकल सप्लाई भेजी, सभी में भारी खामियां पाई गईं और उन्हें लौटाने की नौबत आ गई महामारी के इस सबसे मुशिकिल दौर में चीन जहां बाधाएं पैदा करने में व्यस्त रहा।
भारत दूरगामी दृष्टिकोण के साथ पूरी दुनिया को एकजुट करने में लगा हुआ है पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले दक्षेस देशों की वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक बुलाई तो इसके बाद जी20 देशों को एकजुट करने में जुट गए और उनकी पहल पर बैठक भी हुई।
कभी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने HCQ मेडिसीन भेजने में असमर्थता जाहिर करने पर भारत पर आंखें तरेर ली थी, और अब हालत यह है कि भारतीय पीएम दुनिया एकमात्र वर्ल्ड लीडर हैं जिन्हें राष्ट्रपति का कार्यालय ट्विटर पर फॉलो करता है।
भारत ने HCQ टैबलेट देने के लिए 13 देशों की सूची बनाई है अमेरिका ने 48 लाख टैबलेट मांगी थीं लेकिन अभी उसे 35.82 लाख टैबलेट दी जाएंगी जर्मनी को भी 50 लाख हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट भेजी जाएगी इस सूची के तहत पड़ोसी देश और सार्क सहयोगी बांग्लादेश को 20 लाख, नेपाल को 10 लाख, भूटान को दो लाख,
श्रीलंका को 10 लाख, अफगानिस्तान को पांच लाख और मालदीव को 2 लाख टैबलेट भेजी जाएगी भारत अमेरिका, ब्राजील और जर्मनी को ऐक्टिव फर्मास्यूटिकल इंग्रिडेंट्स (API) भेजेगा जिसका इस्तेमाल जरूरी मेडिसीन बनाने में किया जाता है अमेरिका को 9 मिट्रीक टन एपीआई भेजी गई है वहीं, जर्मनी को पहली खेप में 1.5 मीट्रिक टन एपीआई भेजी गई थी।
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