जब तक प्रयागराज के ब्राह्मण शाकाहारी नही होंगे,  परशुराम जयंती मनाने का कोई औचित्य नही:  दुकान जी


प्रयागराज,(स्वतंत्र प्रयाग), भगवान परशुराम की जयन्ती
जब तक प्रयागराज के ब्राह्मण परिवार शाकाहारी नहीं होगा तब  तक भगवान परशुराम की जयन्ती जयंती समारोह मनाने का कोई औचित्य नहीं है।
 


अगर कही भी भगवान परशुराम जी की पूजा आरती समारोह हो रहा है  तो उस स्थान पर भगवान परशुराम जी की मूर्ति या बडी तस्वीर मंच पर या आसपास सजा कर रखी गयी है तो समारोह मे जानें वाले वही ब्राम्हण मूर्ति या तस्वीर पर माला या फूल चढाये।
 


जो शाकाहारी हो तभी हम ऐसे भगवान को अपना भगवान या पूर्वज माने एक  चिज तो आज हम संकल्प लेकर त्याग सकते है फिर देखिये जो पहले ब्राम्हण की मान प्रतिष्ठा वो तेज जो दूर से देख कर समझ जाते थे ये ब्राम्हण है आज जो स्थिति है वो सब आप जानते हैं। लेकिन अपने को छुपाने के लिए कुछ समाज में अपनी प्रतिष्ठा को बचाये रखनें के लिए ऐसा करके भगवान परशुराम को धोखा नहीं  दे सकते है।


जिसका प्रमाण आज हम सब देख रहे है अपना वर्चस्व स्थापित रहे पूरी दुनिया अपने-अपने अभिमान वर्चस्व की हमारे अलावा कोई नहीं  है लेकिन एक कोरोना जैसे महामारी वायरस ने सबका घमंड अभिमान चकनाचूर कर दिया है।


लेकिन भारत की संस्कृति मे कुछ ऐसे है रिषि मुनी सन्त महात्मा है जो इस धरती को अपने तप जाप  से हमेशा बैलेन्स बनाये है जिसको कोई जल्दी नहीं डगमगा सकता है।


अब इस कोरोना जैसे महामारी मे पढे भगवान परशुराम की जयन्ती सभी ब्रामहणो को आने वाली पिढी को संसकारिक बनाने के लिए इस परशुराम जयंती से अपने को शुद्ध शाकाहारी बनायें तभी भगवान परशुराम की मूर्ति या तस्वीर पर माला चढाये हमसे अगर कोई भूल त्रुटी लिखने मे हुई हो या किसी को शब्दों का ठेस पहुंचा हो लिखने मे तो क्षमा करें। 


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