28 दिन लगातार पैदल चलकर युवक पहुंचा अपने गांव , कहा , नही आता तो मर जाता, भूख से
नई दिल्ली,(स्वतंत्र प्रयाग)पूरे देश भर मे इस वक़्त लॉकडाउन है, हर राज्य मे स्थिति गरीब मजदूरों की बेहद खराब हो चुकी है, क्योंकि इनके पास न खाने को अब कुछ है न ही खरीदने को पैसे वहीं दूसरी ओर कई राज्यों मे फंसे गरीब मजदूरों मे से कई पैदल चलकर अब अपने गाँव की ओर पहुच रहे हैं।
लॉकडाउन की घोषणा होते ही दरभंगा के रहने वाले 32 साल के हरबंश मुंबई से अपने गांव पंचोभ की तरफ चल पड़े हरबंश ने बताया कि अगर गांव नहीं आता तो मुंबई में खाने के बिना मर जाता इस दौरान वे 28 दिन पैदल चले और करीब 2 हजार किलोमीटर का सफर तय किया हरबंश ने बताया कि लॉकडाउन की घोषणा होने के साथ ही वह मुंबई के रेलवे स्टेशन की तरफ भागा वहां से जाने वाली एक ट्रेन में वह बैठ गया ट्रेन कुछ दूर ही चली होगी कि, उसे रद्द कर दिया गया।
लेकिन मेरी किस्मत ने यहाँ भी धोखा दे दिया, या यूं कहूँ कि, मुझसे तेज कोरोना चल रहा था, ट्रेन कैंसिल होने के बाद हमारे पास और कोई चारा नहीं था उसके बाद उन्होंने लगातार पैदल चलना शुरू किया उसके साथ उसके तीन और मजदूर साथी थे जो बिहार के ही थे सभी ने ठान लिया कि पैदल ही अब गांव जाना है।
रास्ते मे थोड़ा बहुत ही खाने का समान था खत्म हो गया, इस दौरान पुलिस वाले भी मिले, लेकिन उन्होंने परेशान नहीं किया रास्ते मे मिलने वाले कई लोगों ने हमें पनि पिलाया, हमारी सहायता भी की।
हरबंश ने बताया कि एक पुलिसवाले ने रास्ते में खर्च के लिए 200 रुपये भी दिए सड़कों को किनारे गांव के लोगों ने भी खाने में मदद की कई बार खाना-पानी भी नहीं मिला रास्ते में पैदल चलते हुए पैर भी फट गए हरबंश ने बताया कि, मुंबई मे जीने के लिए आपको रोज़ मारना होगा, वहाँ जिंदगी ऐसी ही है।
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