अब अधिवक्ताओं को अपने वकालतनामे के साथ रोल नंबर देना हुआ जरूरी, बिना नंबर के वकालत नामा नही होगा स्वीकार्य


 


प्रयागराज,(स्वतंत्र प्रयाग) जिला न्यायालय इलाहाबाद के सभी अधिवक्तागणों को सूचित किया जाता है कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा जन हित याचिकासंख्या-2436/2019 इन री बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में 03 मार्च को आदेश पारित करते हुये 01 अप्रैल, 2020 से सभी अधिवक्तागणों को अपने वकालतनामे के साथ एडवोकेट्स रोल नम्बर देना अनिवार्य कर दिया गया है।


उच्च न्यायालय के आदेशों के क्रम में किसी भी विद्वान अधिवक्ता का वकालतनामा जिला अदालत द्वारा एक अप्रैल से एडवोकेट्स रोल नम्बर का अभाव में स्वीकार किया जाना सम्भव नहीं होगा।


उच्च न्यायालय द्वारा उक्त जन हित याचिका में यह भी आदेशित किया गया है कि जिस किसी विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपना अधिवक्ता रोल नम्बर नहीं बनवाया जायेगा, उन्हें जिला न्यायालय परिसर में प्रवेश नहीं दिया जायेगा। साथ ही पंजीकृत मुंशियों का रजिस्ट्रेशन भी आवश्यक है।


यदि किसी विद्वान अधिवक्ता द्वारा निर्धारित अवधि में नियत फार्म की सभी औपचारिकतायें पूर्ण कर जिला न्यायाधीश के कार्यालय में प्रस्तुत नहीं की जाती है और उनको एडवोकेट रोल नम्बर पहचान पत्र उपलब्ध नहीं होता है तब उस स्थिति में वह विद्वान अधिवक्ता स्वयं उत्तरदायी होंगे।


पूर्ण प्रपत्र 13 मार्च 2020 तक प्रस्तुत किये जा सकेंगे। जिसके साथ अंकन 100/- (एक सौ) रूपये शुल्क भी उच्च न्यायालय के आदेशों के क्रम में प्रत्येक अधिवक्ता व अधिवक्ता के लिपिक को अलग-अलग अदा करना होगा। एक अधिवक्ता के साथ केवल अधिक से अधिक दो लिपिक पंजीकृत हो सकते हैं।


प्रार्थनापत्र के साथ आधार कार्ड, राज्य विधिज्ञ परिषद उत्तर प्रदेश का पंजीकरण प्रमाण-पत्र, जिला अधिवक्ता संघ इलाहाबाद का पहचान पत्र, वाहन पंजीयन प्रमाण-पत्र, एल.एल.बी. के अन्तिम वर्ष का अंकपत्र एवं डिग्री एवं दो फोटो (पासपोर्ट साइज) को प्रस्तुत करना आवश्यक है। दस्तावेज की स्वप्रमाणित प्रति प्रस्तुत की जानी आवश्यक है।


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