राजस्थान के  कोटा में नहीं थम रहा बच्चों की मौत का सिलसिला, अब तक 104 बच्चों ने दम तोड़ा



कोटा (स्वतंत्र प्रयाग): कांग्रेस शासित राजस्थान में कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। आज एक और बच्चे की मौत हो गई है जिसके बाद बच्चों की मौत का आकड़ा 104 तक पहुंच गया है। इतनी बड़ी तादाद में बच्चों की मौत पर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है।


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को मायावती ने उदासीन, असंवेदनशील और गैर-जिम्मेदार करार दिया है।


वहीं बीजेपी भी पीछे नहीं है। उन्होंने भी कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा है। बीजेपी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा, 'एक महीने में 100 नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है, और राजस्थान के मुख्यमंत्री से कोई सवाल नहीं पूछे जाते। कोटा इतनी भी दूर नहीं की सोनिया और राहुल गांधी वहां जा ना सकें और यह घटना इतनी भी मामूली नहीं की मीडिया कांग्रेस सरकार की इस लापरवाही पर आंख मूंद ले।



उधर, इस मामले पर राजस्थान के मुख्यमंत्री ने सफाई दी है कि उनकी सरकार बच्चों की मौत पर संवेदनशील है और इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। दूसरी तरफ, राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने  पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने इस संबंध सभी संभव कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।


दिसंबर महीने के आखिरी दो दिन- 30 ओर 31 दिसंबर को अस्पताल में आठ बच्चों ने दम तोड़ दिया था। अकेले दिसबंर में यहां 100 बच्चों की मौत हो गई थी। वर्ष 2019 में कुल 963 मौतों के आंकडे़ ने जेके लोन अस्पताल में जिम्मेदारों पर सवाल उठाए और सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया। 23 और 24 दिसंबर को 48 घंटे के भीतर अस्पताल में 10 शिशुओं की मौत को लेकर काफी हंगामा हुआ था।


वहीं अस्पताल के अधिकारियों ने कहा था कि वर्ष 2018 में यहां 1,005 शिशुओं की मौत हुई थी और 2019 में उससे कम मौतें हुई हैं। अस्पताल के अधीक्षक के अनुसार अधिकतर शिशुओं की मौत मुख्यत: जन्म के समय कम वजन के कारण हुईछ।जेके लोन अस्पताल के शिशुरोग विभाग के अध्यक्ष अमृतलाल बैरवा के अनुसार साल के अंतिम दो दिन में आठ शिशुओं की मौत हुई है लेकिन उनकी मौत का कारण इलाज में खामी कतई नहीं है।


ज्यादातर बच्चे प्रीमैच्योर (समय से पहले जन्म) थे। किसी का बर्थ वेट बहुत कम था तो किसी को रेफर के दौरान परिजनों द्वारा सर्तकता नहीं बरतने से गंभीर हालात में अस्पताल पहुचाया गया था।


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