केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से की अपील,फांसी की सजा पाए दोषियों को 7 दिन में ही दी जाए फांसी


नई दिल्ली (स्वतंत्र प्रयाग)-केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सजा-ए-मौत के लिए 7 दिन की समयसीमा तय करने की मांग करते हुए इच्छा जाहिर की है कि फांसी की सजा पाए दोषियों को 7 दिन के भीतर फंदे पर लटका दिया जाए।ये आग्रह निर्भया केस के दोषियों को फांसी में हुई देरी के बीच किया गया है।


केंद्रीय गृहमंत्रालय की याचिका इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि साल 2012 के निर्भया गैंगरेप-मर्डर केस में चार दोषियों को फांसी की सजा काफी दिनों से लंबित है। रिव्यू, क्यूरेटिव और दया याचिका में लंबा समय लगा है। उल्लेखनीय है।


कि संविधान का अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को मृत्युदंड की सजा प्राप्त व्यक्ति को क्षमादान देने, सजा को स्थगित करने या सजा में बदलाव करने का अधिकार देता है। दया की अर्जी मिलने पर राष्ट्रपति केंद्रीय गृह मंत्रालय की राय लेता है जोकि वास्तविकता में मंत्रिपरिषद की सिफारिश मानी जाती है।



गृहमंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सभी अदालतों, राज्य सरकारों, जेल प्रशासन को निर्देशित किया जाए कि दया याचिका खारिज होने के बाद सात दिन के भीतर डेथ वॉरंट जारी किया जाए और इसके बाद सात दिन के भीतर उसे फांसी दे दी जाए, चाहे उसके साथी दोषियों के रिव्यू पिटिशन, क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका किसी भी चरण में हो।'


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