ईमानदार छवि के डॉक्टर प्रोफेसर राधा कृष्णा धीमान बने पीजीआई के निदेशक


लखनऊ,(स्वतंत्र प्रयाग) प्रोफेसर राधा कृष्ण धीमान, हेड, हैपटोलाॅजी विभाग, स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, चंडीगढ़ को संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ का निदेशक नियुक्त किया है। 



डॉक्टर धीमान ने के॰जी॰एम॰सी॰ से एम॰डी॰ तथा पी॰जी॰आई॰ से ही डी॰एम॰ की डिग्री हासिल की है और ख़ास बात यह है की प्रोफ़ेसर राधा कृष्ण धीमान पी॰जी॰आई॰ के प्रथम बैच के रीसर्च स्कॉलर रहें हैं । 


ज्ञात हो कि पीजीआई निदेशक की  चयन प्रक्रिया काफ़ी समय से चल रही थी जिसमें कई वरिष्ठ क़तार में थे । अंत में छटनी के पश्चात तीन नाम सामने आए थे जिसमें पिछले हफ़्ते ही पीजीआई के ही सी॰एम॰एस॰ अमित अग्रवाल का  निदेशक बनाया जाना लगभग तय था।


 लेकिन मीडिया में आयी खबरों का संज्ञान योगीआदित्यनाथ ने स्वयं लिया जिसमें यह पाया गया कि अमित अग्रवाल दागी व्यक्ति हैं इनकी सी॰एम॰एस॰ पद पर नियुक्ति भी शंका के घेरे में है । खबरों के मुताबिक़ अमित अग्रवाल शुद्ध रूप से घोटालेबाज और तिकड़म के धनी व्यक्ति हैं।


इसपर मुख्यमंत्री ने कड़ी नाराज़गी जतायी जिसके सबूत के रूप में अमित अग्रवाल की पैरवी करने गये पूर्व निदेशक राकेश कपूर को योगी ने तगड़ी फटकार भी लगाई। 
अमित अग्रवाल के दावे का ख़ारिज होना और अब डॉक्टर धीमान जैसे ईमानदार व्यक्ति के चयन साफ़ दर्शाता है।
 कि चयन प्रक्रिया में काफ़ी पारदर्शिता बरती गयी है और पात्र को ही पदासीन किया गया है ।


सरकार की कार्यशैली से यह साफ़ हो जाता है कि किसी भी तरह धाँधली पर योगी की पैनी नज़र है और कोई भी दागी व्यक्ति अब तिकड़म के सहारे जीत हासिल नहीं कर सकेगा। सूत्रों की माने तो तो योगी आदित्यनाथ ने पीजीआई सी॰एम॰एस॰ अमित अग्रवाल के ख़िलाफ़ मीडिया में आयी खबरों पर बिंदुवार प्रत्येक प्रकरण पर जाँच के भी आदेश दिए हैं।
 


और पीजीआई के पास इनके द्वारा संचालित नर्सिंग होम की भी जाँच की सम्भावना है क्योंकि सुनने में आया है सी॰एम॰एस॰ पद का दुरुपयोग करते हुए पीजीआई का तमाम समान और दवाएँ उस नर्सिंग होम में देखा गया है।


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