दिल्ली में जेएनयू हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन , पुलिस लाठीचार्ज में छात्र घायल, 50 लोग हिरासत में 



नई दिल्ली (स्वतंत्र प्रयाग): देश के जाने-माने राजनीतिज्ञों, बुद्धिजीवियों, शिक्षकों और छात्रों ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में नकाबपोशों द्वारा की गयी हिंसक घटना के विरोध में गुरुवार काे यहां नागरिक मार्च निकाला और वे जब राष्ट्रपति भवन की ओर से जा रहे थे तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें कई छात्र घायल हो गये।
 
मार्च में शामिल लोग कुलपति एम जगदीश कुमार को बर्खास्त करने तथा छात्रों के विरुद्ध से एफआईआर हटाने के साथ ही सरकार से पूरी घटना की निष्पक्ष न्यायिक जांच कराने की मांग की है। मार्च में शामिल लोग जब राष्ट्रपति भवन की ओर से जा रहे थे तो पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया जिसमें कई छात्र घायल हो गये।


इस दौरान 50 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया गया।मार्च कर रहे जेएनयू के छात्र जब मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास पहुंचे तो उन्होंने वहां धरना प्रदर्शन किया तो मंत्रालय की ओर से उन्हें उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे से मिलकर बातचीत करने का न्योता मिला।


इसके बाद जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष एवं सचिव सतीश यादव और कुछ शिक्षकों के शिष्टमंडल ने खरे से मुलाकात की लेकिन दोनों पक्षों के बीच वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला। इस बैठक से बाहर आकर घोष ने कहा कि जब तक कुलपति को हटाया नहीं जाता तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।


इसके बाद वहां बड़ी संख्या में मौजूद छात्र अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ने लगे तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए लाठीचार्ज किया जिसमें कई छात्र घायल हो गए। जेएनयू छात्रों को अंबेडकर भवन के पास से हिरासत में ले लिया है।


नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के बाहर भारी पुलिस कर्मी तैनात कर दिए गए और चारों तरफ जाम लग गया। इसके अलावा पुलिस ने 50 से अधिक छात्रों को हिरासत में ले लिया। शास्त्री भवन के सामने बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी फौरन आ गए और उन्होंने बैरीकेड लगाकर रास्ते को रोक दिया ताकि छात्र राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़ नहीं सकें।इस बीच, कांग्रेस ने जेएनयू में हिंसा के दोषियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इसके लिए केंद्रीय गृहमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री जिम्मेदार हैं।


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता जयराम रमेश ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जेएनयू की हिंसक घटना को 72 घंटे हो गए हैं लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।उन्होेंने कहा, “ जो कांड घटा जेएनयू में करवाया गया है। इसके पीछे कौन था, हम सब जानते हैं। मैं सीधा आरोप लगा रहा हूं। इसके पीछे मानव संसाधन विकास मंत्री और गृह मंत्री, दोनों शामिल हैं। ये ‘ऑफिशियली स्पोंसर्ड गुडांइज्म’ है।


बहत्तर घंटे हो गये हैं और दिल्ली पुलिस को जानकारी है, किसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए, पर आज तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। लापरवाही है, पर ये जानबूझ कर की गयी लापरवाही है।उन्होंने कहा कि कांग्रेस मांग करती है कि जिनको पहचाना गया है, उनको गिरफ्तार किया जाना चाहिए।


इसके अलावा वर्तमान कुलपति को हटाया जाना चाहिए। उनके पद पर रहने तक जेएनयू में सामान्य स्थिति बहाल होने की कोई गुंजाइश नहीं है। सरकार को कुलपति का त्यागपत्र लेना चाहिए और छात्रों की मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
 
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जेएनयू में हिंसक घटना को लेकर केन्द्र की नरेंद्र माेदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि पुलिस को हिंसा न रोकने के आदेश दिये गये थे। केजरीवाल ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा,“ दिल्ली पुलिस क्या कर सकती है। अगर उन्हें उच्च अधिकारियों से हिंसा न रोकने के आदेश हों तो वह क्या कर सकती है।


यदि पुलिस कर्मी आदेश को नहीं मानते तो उन्हें निलंबित कर दिया जाता।”उल्लेखनीय है कि रविवार की शाम नकाबपोश जिनमें पुरुष और महिलाएं भी शामिल थीं, ने जेएनयू परिसर के भीतर घुसकर हॉस्टलों में तोड़फोड़ की और कथित रूप से सुनियोजित तरीके से छात्रों को अपना निशाना बनाया। हिंसा की इन घटनाओं में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष और 30 अन्य छात्र एवं शिक्षक घायल हो गये थे। जेएनयू हिंसा को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में आक्रोश फैल गया और छात्र वर्ग, सामाजिक संगठनों तथा कई राजनीतिक दलों ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया।



 नागरिक मार्चमार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, पूर्व माकपा महासचिव प्रकाश करात, पूर्व राज्यसभा सांसद वृंदा करात, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा, प्रसिद्ध समाजवादी नेता शरद यादव,राष्ट्रीय जनता दल के नेता एवं राज्यसभा सदस्य मनोज झा, वकील प्रशांत भूषण समेत कई राजनीतिज्ञों ने राजधानी के मंडी हाउस से लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सामने तक मार्च किया।


इसमें जेएनयू के शिक्षकों और छात्रों के अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अंबेडकर विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया। रैली में भाग लेने वाले छात्र और शिक्षक हाथों में तख्तियां और बैनर लिए जगदीश कुमार की हिंसा की इस घटना में मिलीभगत होने का आरोप लगाया और उन्हें तत्काल बर्खास्त करने की सरकार से मांग की एवं नकाबपोश हमलावरों को अविलंब गिरफ्तार करने की भी मांग की है।


रैली में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जयति घोष, मशहूर रंगमंच निर्देशक एम के रैना, जनवादी लेखक संघ के अतिरिक्त महासचिव मुरली मनोहर प्रसाद सिंह तथा जेएनयू शिक्षक संघ और जेएनयू छात्रसंघ के नेता आदि भी शामिल थे।जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष, सचिव सतीश यादव और कुछ शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे से मुलाकात कर अपनी मांगे रखी। जेएनयू में सुबह से ही बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था और विश्वविद्यालय के सभी निकास द्वारों को बंद किया गया था लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में छात्र मंडी हाउस पहुंचे और नागरिक मार्च में शामिल हुए।


मंडी हाउस में शिक्षक और छात्र पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे से जुटना शुरू हो गये थे लेकिन पुलिस ने वहां पर धारा 144 लगा रखी थी और देर तक प्रदर्शनकारियों को रोके रखा। दोपहर बाद करीब एक बजे प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकालना शुरू किया जिसे मानव संसाधन मंत्रालय कार्यालय से थोड़ा पहले राजेन्द्र प्रसाद मार्ग पर रोक दिया गया।


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