RSS प्रमुख भागवत बोले, गौ सेवा करने वाले कैदियों की आपराधिक सोच में आई कमी


पुणे (स्वतंत्र प्रयाग) - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने महाराष्ट्र के पुणे में कहा कि जेल में गायों के लिए आश्रय गृह खोलने और कैदियों से उनकी सेवा कराने से कैदियों की आपराधिक प्रवृत्ति कम होती है। उन्होंने कहा, 'जेलों में गायों के लिए आश्रय गृह खोले गए थे। विभिन्न जेलों के जेलरों ने मुझे बताया कि दो-तीन बार ऐसा देखा गया कि उन कैदियों की आपराधिक प्रवृत्ति में कमी आई जो गायों की सेवा कर रहे थे।


'उन्होंने कहा कि गाय की खूबियों को दुनिया को दिखाने के लिए इस प्रकार के निष्कर्षों को प्रलेखित करना जरूरी है। भागवत यहाँ 'गौ विज्ञान' को समर्पित गो-विज्ञान संशोधन संस्था द्वारा आयोजित एक पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ''गाय ब्रह्माण्ड की मां है। वह मिट्टी, पशु, पक्षी और मनुष्य को भी पोषित करती है और उन्हें रोगों से बचाती है और मानव हृदय को फूल की तरह कोमल बनाती है।"


भागवत ने कहा, ''जब जेल में गोशाला बनाई गई और कैदियों ने गाय की सेवा करनी शुरू की तब अधिकारियों ने उन कैदियों की आपराधिक प्रवृत्ति में कमी आते हुए देखा। मैं आपको यह बात कुछ जेल अधिकारियों द्वारा साझा किये अनुभवों के आधार पर बता रहा हूँ।"


उन्होंने कहा, ''यदि गायों के गुणों को दुनिया के सामने लाना है तो हमें दस्तावेज बनाने होंगे। हमें कैदियों पर मनोवैज्ञानिक प्रयोग करने होंगे और उनके द्वारा कुछ समय तक गौसेवा के बाद उनमें आये बदलावों की समीक्षा करनी होगी। विभिन्न जगहों से इसके परिणाम एकत्रित करने होंगे।


" भागवत ने कहा कि जो संगठन छुट्टा घूमती गायों को आश्रय देते हैं उनके पास जगह की कमी होती जा रही है। भागवत ने कहा कि समाज में यदि हर व्यक्ति एक गाय को पालने का निर्णय कर ले तो यह समस्या सुलझ जाएगी और गाय बूचड़खाने में जाने से बच जाएंगी। उन्होंने कहा कि हालांकि आज हिन्दू ही हैं जो गायों को बूचड़खाने भेज रहे हैं।


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