नागरिकता पर सिर्फ संसद को कानून पारित का अधिकार , केरल विधानसभा को नहीं :-रविशंकर प्रसाद
तिरूवनंतपुरम (स्वतंत्र प्रयाग) केरल विधानसभा ने मंगलवार को यहां एक दिवसीय विशेष सत्र में नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) को रद्द करने के लिए केंद्र से अपील किये जाने संबंधी प्रस्ताव पारित किया। उधर, माकपा सरकार के इस रुख पर केंद्रीय कानून मंत्री और बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नागरिकता पर सिर्फ संसद को कोई कानून पारित का अधिकार है, विधानसभा को नहीं।
उन्होंने कहा, ''सीएए किसी भारतीय नागरिक से संबद्ध नहीं है। यह किसी भारतीय को न तो नागरिकता देता है, ना ही इसे छीनता है।'' प्रसाद ने कहा कि निहित स्वार्थी तत्व बहुत दुष्प्रचार कर रहे हैं। सीएए बिल्कुल संवैधानिक और कानूनी है। प्रसाद ने नागरिकता कानून का समर्थन करते हुए कहा कि इससे पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इसका समर्थन किया था। इस कानून से भारत का कोई नागरिक प्रभावित नहीं होगा। केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने विधानसभा में नियम 118 के तहत यह प्रस्ताव रखा।
उन्होंने कहा कि सीएए के खिलाफ देश भर में विरोध और अल्पसंख्यकों के बीच व्याप्त चिंताओं के मद्देनजर यह प्रस्ताव रखा गया है। उन्होंने कहा कि सीएए देश के धर्मनिरपेक्षता के ढांचे के खिलाफ है तथा संविधान के सिद्धांतों के विपरीत धर्म आधारित पक्षपात को बढ़ावा मिलेगा। उन्हाेंने जोर दिया कि इस विधेयक के लाये जाने के बाद विदेशों में देश की छवि धूमिल हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएए के क्रियान्वयन से जुड़े मामले में केरल में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं होगा।भाजपा के एकमात्र विधायक ओ राजगोपाल ने इस प्रस्ताव को असंवैधानिक और गैरकानूनी बताते हुए कहा कि सीएए के खिलाफ यहां सदन में प्रस्ताव पारित किया गया है जबकि इसे संसद में दोनों सदनाें में मंजूरी दी जा चुकी है।
विधानसभा में आज के विशेष सत्र में संविधान के 126वें संशोधन विधेयक की पुष्टि करने वाला प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया , जिसका उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति जनजाति के लिए और 10 साल तक आरक्षण कोटा बढ़ाना है।
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत यह प्रस्ताव रखा औार विपक्षी कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा तथा भाजपा विधायक राजगोपाल ने इसका समर्थन किया।
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