कांग्रेस नेता से खरीद शुरू किया, दिलचस्प है दागी अखबार का इतिहास! अब मालिक हैं फरार


अखबार के मालिक और संपादक जीतू सोनी के यहां छापे पड़े और फिलहाल वह फरार चल रहे हैं। (PTI)


इन्दौर(स्वतंत्र प्रयाग) भोपाल मध्य प्रदेश के हनीट्रैप केस में इंदौर के एक अखबार की भूमिका सुर्खियों में है। सांध्यकालीन अखबार सांझा लोकस्वामी ने मामले से जुड़ी कई खबरें प्रकाशित की थीं। बाद में इस अखबार के मालिक और संपादक जीतू सोनी के यहां छापे पड़े और फिलहाल वह फरार चल रहे हैं। ऐसा नहीं है कि अखबार के कर्मचारियों को इस हाई प्रोफाइल मामले से जुड़ी मुसीबतों का अंदाजा नहीं था। अखबार में छपने से पहले अगर कोई भी खबर विवादास्पद लगती तो संपादकीय टीम का एक सीनियर सदस्य मालिक जीतू सोनी को जरूर समझाने की कोशिश करता कि ऐसी खबरें छापने से अखबार मुश्किल में पड़ सकता है।
एक स्टाफ मेंबर का कहना है जीतेंद्र उर्फ जीतू सोनी पर इसका कोई असर नहीं पड़ता था। वह कहते थे, 'चिंता मत करो, कुछ नहीं होगा। मुझे पता है कि कैसे हैंडल करना है। इसमें मेरी बाइलाइन है और प्रिंटलाइन में मेरा नाम है।' स्टाफ मेंबर भी मानता है कि वह सोनी के 'संपर्कों' से खासा प्रभावित था। इंदौर में सामने आए हाई प्रोफाइल हनीट्रैप केस पर सांझा लोकस्वामी ने कई खबरें छापीं। हालांकि, बीते हफ्ते सब कुछ बदल गया, जब पुलिस ने सोनी के कई ठिकानों पर छापे मारे और उनके बेटे अमित को गिरफ्तार कर लिया। 



अब जीतू सोनी को पकड़ने वाले को 1 लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान किया गया है। सांझा लोकस्वामी अखबार का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा चुका है और इसका दफ्तर भी सील किया जा चुका है। अभी तक सोनी और उसके सहयोगियों के खिलाफ 30 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं। बता दें कि हनीट्रैप मामला सितंबर में प्रकाश में आया, जब पांच महिलाओं और उनके ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया। इंदौर के म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के सुपरीटेंडेंट इंजीनियर हरभजन सिंह की शिकायत पर यह गिरफ्तारियां हुई थीं। इंजीनियर का आरोप था कि उन्हें कुछ वीडियोक्लिप्स के जरिए ब्लैकमेल किया जा रहा था। इन वीडियोज में वह आपत्तिजनक अवस्था में नजर आ रहे थे।
सांझा लोकस्वामी ने जो खबरें छापी हैं, उनमें एक बीजेपी के पूर्व मंत्री, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के एक प्रिंसिपल सेक्रेटरी आदि तक का जिक्र था। अखबार की ओर से दावा किया गया था कि मामले से जुड़े और खुलासे जल्द होंगे लेकिन इससे पहले रेड पड़ गई। बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो सोनी के अखबार की खबरों से प्रभावित नहीं हुए लेकिन उनका मानना है कि यह कार्रवाई बहुत पहले हो जानी चाहिए थी। उनके मुताबिक, 60 साल से ज्यादा उम्र के सोनी एक 'ब्लैकमेलर' हैं, जिन्होंने अपनी पूरी सल्तनत अपने आठ पेज के अखबार को हथियार बनाकर खड़ी की है। इन लोगों की मानें तो सोनी की पत्रकारिता स्टिंग ऑपरेशन और गंदी जानकारियों पर आधारित रही है, जिन्हें दूसरे मुख्यधारा के अखबार छापने से बचते थे। सोनी पर हमला भी हो चुका है, जिसके बाद उन्हें दो हथियारबंद पुलिसवालों की सुरक्षा दी गई। हालांकि, यह सिक्योरिटी अब वापस ले ली गई। 



सोनी की पत्रकारिता का करियर 1993 में शुरू हुआ था। तब उन्होंने सीनियर कांग्रेसी लीडर महेश जोशी के अखबार लोकस्वामी को खरीदा था। जोशी ने करीब 34000 पाठकों की मदद से इस अखबार को लॉन्च किया था। सभी ने 1-1 रुपये का चंदा दिया था। मई 1991 में हत्या से कुछ वक्त पहले ही पूर्व पीएम राजीव गांधी ने इसका उद्घाटन किया था। पैसों की कमी के चलते सोनी को यह अखबार बेचना पड़ा था।


सोनी ने जब इस अखबार को खरीदा तो कई लोगों को हैरानी हुई क्योंकि वह कंसट्रक्शन के पेशे से जुड़े हुए थे। लेकिन सोनी जल्द ही इस पेशे की बारीकियों को समझने लगे। उन्होंने इसे सांझा लोकस्वामी नाम दिया। अखबार का टैगलाइन था- लिखित और सच्चा दस्तावेज। खबरों में सोनी का सबसे बड़ा खुलासा इंदौर में कथित तौर पर सिमी के नेटवर्क का भंडाफोड़ था। वह ड्रग्स रैकेट और जमीन के सौदों पर भी लिखते रहे। अखबार विज्ञापनों पर चलते हैं, लेकिन सांझा लोकस्वामी को ये न के बराबर मिलते थे। वहीं, सोनी का कहना था कि उन्हें विज्ञापनों की जरूरत नहीं है।


इंदौर में दर्जनों सांध्यकालीन अखबार हैं, लेकिन ऐसा मालूम होता है कि सोनी ने अपने अखबार से अच्छा मुनाफा कमाया। तभी उन्होंने काफी संपत्ति अर्जित कर ली। इनमें एक शानदार होटल, एक होटल कम डांस बार, एक कैफे, 21000 वर्ग फीट में फैला एक घर भी शामिल है। इस कारोबारी संपादक को अक्सर सीनियर पुलिस अधिकारियों के साथ देखा जाने लगा। इसके अलावा, सोनी ने शिवसेना के जरिए राजनीति का भी अनुभव लिया। हालांकि, अब उनकी किस्मत पूरी तरह साथ छोड़कर जाती नजर आती है लेकिन उन्हें उनके 'संपर्कों' ने आखरी यक्ष से सोनी पुलिस के ऐक्शन से पहले भागने में कामयाब रहे।


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