झारखंड में पहले चरण में आधे से ज्यादा सीटें गंवा सकती है बीजेपी, वोटिंग ट्रेंड बता रहा हाल

 




रांची (स्वतंत्र प्रयाग) झारखंड पांच चरणों के विधान सभा चुनाव होने हैं। शनिवार (30 नवंबर) को पहले चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है। राज्य की 81 में से 13 विधानसभा सीटों पर इस चरण में वोट डाले गए। सबसे अच्छी बात यह रही कि इस चरण में 11 विधानसभा क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव से भी अधिक मतदान हुए। नक्सल प्रभावित इलाके लोहरदगा में तो 71.47 फीसदी वोटिंग हुई। यानी उम्मीदों से ज्यादा वोटिंग लोकतंत्र के लिए भले ही अच्छे संकेत हों लेकिन राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के लिए अच्छे संकेत नहीं दे रही है। माना जाता है कि अधिक वोटिंग परसेंट सत्ताविरोधी लहर का नतीजा होता है। इस लिहाज से 11 सीटों पर बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। चतरा में सबसे कम 56.59 फीसदी ही वोटिंग हुई जो लंबे समय से बीजेपी के कब्जे में है।



हालांकि, आंकड़े बता रहे हैं कि मौजूदा चुनावी पैटर्न 2014 के लोकसभा चुनावी पैटर्न जैसे ही हैं। 2014 में लोकसभा चुनाव के छह महीने बाद झारखंड विधान सभा चुनाव हुए थे लेकिन इन तेरह में से 6 सीटों पर ही बीजेपी जीत सकी थी। बाकी सात सीटों पर भगवा पार्टी की हार हो गई थी। अगर मौजूदा चुनावी पैटर्न को 2014 के चुनावी पैटर्न के आधार पर हार जीत में तब्दील करें तो बीजेपी के लिए यह सुखद संकेत नहीं है। पार्टी पहले चरण की 13 सीटों में आधे से ज्यादा सीटों पर हार सकती है।
इतना ही नहीं आंकड़े यह भी बता रहे हैं कि जिन सीटों पर 2014 के विधान सभा चुनाव में बीजेपी की जीत हुई थी, उन पर 2019 के लोकसभा चुनाव में दूसरी पार्टियां लीड कर रही हैं। 2014 के विधान सभा चुनावों में जिन सीटों पर बीजेपी की हार हुई थी, उनमें बिशुनपुर, लोहरदगा,लातेहार, पांकी, ड़ाल्टेनगंज, हुसैनाबाद और भवनाथपुर शामिल है। इन सीटों पर मौजूदा चुनाव में 2019 के लोकसभा चुनाव से भी ज्यादा वोटिंग हुई है। वैसे 13 में से 11 सीटों पर लोकसभा चुनाव के मुकाबले लोगों ने विधान सभा चुनाव में बढ़कर वोटिंग की है। सिर्फ चतरा और छतरपुर विधानसभा में लोकसभा के मुकाबले क्रमश: 3.3 % और 1.1% कम वोटिंग हुई है
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बढ़ा हुआ वोटिंग परसेंट चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकता है क्योंकि राज्य में राजनीतिक परिस्थितियां भी बदली हुई हैं। एनडीए के घटक दल और सरकार में शामिल रही सुदेश महतो की यह पार्टी आजसू अब गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ रही है। दूसरी तरफ रघुबर दास सरकार में कद्दावर मंत्री रहे सरयू राय खुद सीएम के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं, जबकि विपक्षी दल (जेएमएम, कांग्रेस और राजद) एक गठबंधन बनाकर चुनाव मैदान में उतरे हैं।


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