इस योजना के तहत फिर से जारी होंगे राशन कार्ड, उपभोक्ता किसी भी राज्य से ले सकेंगे सामान 

 


नई दिल्ली (स्वतंत्र प्रयाग): केन्द्र सरकार ने 'एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड' के अभियान को आगे बढ़ाते हुए राशन कार्ड का एक मानक प्रारूप तैयार किया है। राज्यों से कहा गया है कि नया राशन कार्ड जारी करते हुए वे इसी प्रारूप को अपनाएं। पूरे देश में एक जैसे राशन कार्ड जारी करने की पहल के तहत वर्तमान में छह राज्यों में परीक्षण योजना के तौर पर इस पर अमल किया जा रहा है। केन्द्र सरकार इस योजना को एक जून, 2020 से पूरे देश में लागू करना चाहती है। 'एक देश, एक राशन कार्ड' योजना के पूरे देश में लागू होने के बाद कोई भी कार्डधारक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत किसी भी राज्य की राशन की दुकान से अपना राशन ले सकेगा। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, राष्ट्रीय स्तर पर राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी लक्ष्य को हासिल करने के लिये यह जरूरी है कि विभिन्न राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश जो भी राशन कार्ड जारी करें वे सभी एक मानक प्रारूप में हों। इसीलिये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन जारी करने के लिये मानक प्रारूप जारी किया गया है। अधिकारी ने कहा कि विभिन्न राज्यों में जो भी राशन कार्ड जारी किये जा रहे थे उन सभी के तौर तरीकों को प्रारूप को मद्देनजर रखते हुये पूरे देश के लिये एक मानक प्रारूप तैयार किया गया है। अधिकारी ने कहा कि राज्यों से कहा गया है कि वह जब भी नया राशन कार्ड जारी करें इसे नये प्रारूप के अनुरूप ही जारी करें। 


इस बारे में कुछ और बताते हुए अधिकारी ने कहा कि मानक राशन कार्ड में राशन कार्ड धारक का जरूरी ब्योरा शामिल किया गया है और राज्य चाहें तो इसमें अपनी जरूरत के मुताबिक कुछ और जोड़ सकते हैं। उन्होंने बताया कि राज्यों से कहा गया है कि वह मानक राशन कार्ड दो भाषाओं में जारी करें। एक स्थानीय भाषा के साथ ही इसमें दूसरी भाषा हिन्दी अथवा अंग्रेजी का इस्तेमाल करें। इससे राष्ट्रीय स्तर पर राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी को अमल में लाने में मदद मिलेगी। राज्यों से कहा गया है कि वह 10 अंकों वाला राशन कार्ड जारी करें जिसमें पहले दो अंक राज्य कोड होगा और अगले अंक राशन कार्ड संख्या के अनुरूप होंगे। इसमें अगले दो अंक राशन कार्ड में परिवार के प्रत्येक सदस्य की पहचान के तौर पर शामिल होंगे। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में 81.35 करोड़ लाभार्थियों के लक्ष्य के मुकाबले अब तक 75 करोड़ लाभार्थियों को शामिल किया गया है।


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