अयोध्या मामले में सभी 18 पुनर्विचार याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज


नई दिल्ली (स्वतंत्र प्रयाग): उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण संबंधी उसके फैसले को लेकर दायर सभी 18 पुनर्विचार याचिकाओं को गुरुवार को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सभी याचिकाओं पर विचार के बाद उन्हें निरस्त कर दिया।


पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे।


मुस्लिम पक्ष की याचिका


मुस्लिम पक्ष की तरफ से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईपीएलबी) और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी याचिका डाली थी। अदालत के इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए पहली याचिका 2 दिसंबर को मूल वादकारियों में शामिल एम सिद्दीक के वारिस और यूपी जमीयत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने दायर की थी। इस याचिका में 14 बिंदुओं पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया गया था।


उनकी अपील थी कि बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण का निर्देश देकर ही इस प्रकरण में 'पूरा न्याय' हो सकता है। इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए अब मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला, मोहम्मद उमर, मौलाना महफूजुर रहमान और मिसबाहुद्दीन ने दायर की हैं।


ये सभी पहले मुकदमे में पक्षकार थे।



गौरतलब है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने नौ नवबंर को राम जन्म भूमि विवाद को लेकर दिये गये अपने फैसले में राम मंदिर निर्माण उसी जगह पर करने और मुस्लिम समुदाय को अयोध्या में दूसरी जगह मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ भूमि उपलब्ध कराने का सरकार को आदेश दिया था।


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