यूपी में भी बनी थी 1998 में ऐसी स्थिति, जानें क्या दिया था सुप्रीम कोर्ट ने फैसला
नई दिल्ली (स्वतंत्र प्रयाग): महाराष्ट्र में बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है, जबकि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का दावा है कि बहुमत उनके पास है। ऐसे में इस मसले को सुलझाने के लिए फ्लोर टेस्ट का विकल्प ही एक बड़ी संभावना है। सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री अजित पवार का पक्ष भी सुना।
कोर्ट ने नोटिस जारी कर केंद्र और राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है। सर्वोच्च अदालत आज इस मामले में अपना फैसला सुना रहा है। लेकिन यह पहला मौका नहीं है, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के केस का सामना किया हो। इससे पहले यूपी, उत्तराखंड, गोवा, कर्नाटक और झारखंड के मामले भी सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पहुंच चुके हैं।
कल्याण सिंह-जगदंबिका पाल जी हां.. हम आपको याद दिलाते हैं 1998 की वो घटना जब उत्तर प्रदेश में इसी तरह की स्थिति बनी थी और शीर्ष अदालत ने बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया था। उस समय राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था और कांग्रेस नेता जगदंबिका पाल को उनकी जगह मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था।
1998 में जगदंबिका पाल वर्सेज भारतीय संघ और अन्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने बहुमत परीक्षण का आदेश दिया। जिसमें कल्याण सिंह के समर्थन में 225 और जगदंबिका पाल को 196 वोट मिले। स्पीकर के आचरण की बहुत आलोचना हुई थी क्योंकि उन्होंने 12 सदस्यों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य ठहराए जाने के मामले में दिए अपने फैसले को रद्द कर दिया था।
हालांकि जब 12 सदस्यों ने कल्याण सिंह के समर्थन में वोट किया और उनके वोटो को अंत में उन्हें घटाया गया तब भी सिंह के पास सदन में पूर्ण बहुमत था। इससे पहले कल्याण सिंह के बहुमत परीक्षण के ऑफर को राज्यपाल ने पहले खारिज कर दिया था। हालांकि वह दोबारा राज्य के मुख्यमंत्री बने।
NBTयदि एक से ज्यादा लोग सरकार बनाने का दावा करते हैं और बहुमत स्पष्ट नहीं होता है तो राज्यपाल यह देखने के लिए एक विशेष सत्र बुला सकते हैं। ताकि यह देखा जा सके कि किसके पास बहुमत है। कुछ विधायक अनुपस्थित हो सकते हैं या वोट न देना स्वीकार कर सकते हैं।
ऐसी स्थिति में बहुमत की गणना वर्तमान और मतदान के आधार पर की जाती है। महाराष्ट्र की वर्तमान स्थिति में फडणवीस पहले ही मुख्यमंत्री और अजित पवार उप-मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले चुके हैं। वहीं कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने उनके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
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