शिवसेना को एनसीपी-कांग्रेस का झटका, भाजपा ने मारी एंट्री

   नई दिल्ली (स्वतंत्र प्रयाग): राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की मंजूरी के साथ ही वर्ष 1960 में गठित महाराष्ट्र में मंगलवार को तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। महाराष्ट्र में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश पर आज अपनी मोहर लगा दी। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद कांग्रेस और एनसीपी के सीनियर नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस की। 


दोनों पार्टियों की तरफ से जारी बयान को एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने पढ़ते हुए कहा, यह फैसला लेने से पहले जरूरी है कि सभी बिंदुओं पर स्पष्टीकरण होना चाहिए। पहले कांग्रेस और एनसीपी कुछ बिंदुओं पर चर्चा करेंगे। उसके बाद ही शिवसेना से बात की जाएगी। इसके बाद दोनों पार्टियां शिवसेना को समर्थन देने पर फैसला लेंगी। पटेल का यह बयान शिवसेना के लिए तगड़ा झटका है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि अभी राष्ट्रपति शासन की जरूरत नहीं थी, हम राष्ट्रपति शासन की आलोचना करते हैं। केंद्र सरकार ने कई राज्यों में मनमानी की। 


लोकतंत्र और संविधान का मजाक उड़ाने की कोशिश की। राज्यपाल का कांग्रेस को न्यौता न देना गलत है, सबको मौका दिया लेकिन कांग्रेस को नहीं बुलाया गया।


इसी प्रकार शिवसेना विधायकों के साथ बात करने के बाद शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने प्रेस कांफ्रेंस की। इस प्रेस कांफ्रेंस में उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम अभी भी सरकार बना सकते हैं, हमें थोड़ा वक्त चाहिए. एनसीपी कांग्रेस से बात चल रही है, हमने राज्यपाल से सरकार बनाने की इच्छा जताई थी। राज्यपाल ने हमें समय नहीं दिया। शिवसेना को समय की जरूरत है, हमारा सरकार बनाने का दावा अभी भी कायम है। बहुमत साबित करने के लिए 24 घंटे का वक्त कम है।
इसी बीच बीजेपी नेता नारायण राणे का बया आया है कि भाजपा सरकार बनाने की पूरी कोशिश करेगी। राणे के मुताबिक हम राज्यपाल के पास 145 का आंकड़ा लेकर जाएंगे। उन्होंने कहा कि शिवसेना ने ही हमें साम, दाम, दंड, भेद सिखाया है।


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