फोर्जिंग और ऑटो कॉम्पोनेंट उद्योग में बड़े पैमाने पर हो सकती है छंटनी
नई दिल्ली (स्वतंत्र प्रयाग): त्योहारी सीजन में यात्री वाहनों की बिक्री में कुछ बढोतरी देखे जाने के बावजूद आटो उद्योग अब तक पटरी पर नहीं लौट पाया है। यही नहीं, ऑटोमोबाइल उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले फोर्जिग उद्योग और असली कलपुर्जे बनाने वाले उद्योग की स्थिति में भी कोई सुधार नहीं हो रहा है ।
जिसके कारण इस क्षेत्र की कंपनियों पर नौकरियां कम करने का भारी दबाव बढ़ रहा है।भारत में फोर्जिंग उद्योग से जुड़ी 250 से अधिक कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली इस क्षेत्र की सबसे बड़ी संस्था एसोसिएशन ऑफ इंडियन फोर्जिंग इंडस्ट्री (एआईएफआई) ने वाहन उद्योग से नए ऑर्डरों में कमी पर चिंता जताई है।
कम होती ऑटोमोबाइल बिक्री के कारण आई गिरावट के चलते, फोर्जिंग उद्योग को मांग में आ रही तेज गिरावट के असर का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण उत्पादन में भारी कटौती हुई है।भारतीय फोर्जिंग उद्योग मुख्य रूप से 57 अरब डॉलर के देश के ऑटोमोटिव उद्योग को सेवायें प्रदान करता है, जो कि फोर्जिंग उद्योग के उत्पादन का 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा होता है। ऑटो सेक्टर में चल रही मंदी के कारण फोर्जिंग उद्योग की मांग में 25 से30 प्रतिशत की औसत गिरावट देखी गई है।
एआईएफआई के अध्यक्ष एस मुरलीशंकर ने यहां कहा कि हाल के त्योहारों के दिनों में कुछ कार कंपनियों ने रिटेल स्तर पर बिक्री में वृद्धि दर्ज की है। इसके परिणामस्वरूप, डीलर के स्तर पर इन्वेंट्री का निपटारा किया गया। त्योहारों के दिनों के आँकड़े स्पष्ट रूप से होलसेल बिक्री की तुलना में ज़्यादा रिटेल बिक्री दर्शा रहे हैं।
यह वृद्धि पिछली दो तिमाहियों के दौरान बिक्री में आयी कमी के बाद आयी है, जो कि इन्वेंट्री को समाप्त करने में मददगार हुआ है। मुरलीशंकर ने कहा कि विनिर्माण के स्तर पर उत्पादन और मांग में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जिसकी वजह से फोर्जिंग और ऑटो-कॉम्पोनेन्ट क्षेत्र वाहनों के क्षेत्र में आयी मंदी से प्रभावित चल रही है।
इस समय, कम मांग के कारण एक बहुत बड़ी इन्वेंट्री तैयार हो गई है और इससे निपटने के लिए, कई फोर्जिंग इकाइयां काम करने के समय और उत्पादन के मामले में आनुपातिक कटौती कर रही हैं। यदि यह हालात आगे भी चलते रहे, तो हमें आशंका है कि उत्पादन में ज़्यादा नुकसान और नौकरियों में कटौती की जायेगी।
उन्होंने कहा कि यह उद्योग इसके अलावा कई दूसरी समस्यायों से जूझ रहा है जो फोर्ज्ड हिस्सों की मांग में आयी गिरावट के अलावा और भी ख़राब असर डाल सकते हैं। ऑटो सेक्टर की मंदी के कारण फोर्जिंग उद्योग पर मंडरा रहे कुछ बड़े खतरे हैं ।
एक अप्रैल 2020 से बीएस 6 के मानदंडों को अपनाने के कारण पुराने कलपुर्ज़ों के बेकार हो जाने, कीमत गिरने वाली वस्तुओं की कीमत में सुधार के कारण मौजूदा स्थिर पड़ी इन्वेंट्री के मूल्य में आयी कमी, क्षमता के उपयोग में आयी कमी के कारण ऋण और ब्याज़ की देनदारियों को चुकाने की ज़रूरतों को पूरा करने में मुश्किलें आ सकती हैं।
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