जेपी इंफ्राटेक की अर्श से फर्श तक पहुंचने की पूरी कहानी पढ़ें, अब 90 दिनों में दिवालिया हो जाएगी

बिज़नेस  खबर


    नई दिल्ली  (स्वतंत्र प्रयाग): सच ही कहा है कि जीवन में सफलता के लिए सही समय पर सही फैेसला लेना बहुत ही अहम होता है। एक गलत फैसला इंसान को अर्श से फर्श पर ला सकता है। यही कुछ हुआ है जेपी ग्रुप और उसके फाउंडर जय प्रकाश गौड़ के साथ, क्योंकि करीब 10 साल पहले तक देश की सबसे चर्चित रियल एस्‍टेट कंपनी जेपी इंफ्राटेक 90 दिन में दिवालिया होने वाली है।


जेपी इंफ्राटेक के दिवालिया प्रक्रिया को पूरी करने की डेडलाइन सुप्रीम कोर्ट ने तय की है, लेकिन सवाल यह है कि करीब 10 साल पहले तक देश की सबसे चर्चित रियल एस्‍टेट कंपनी आज इस हालात में कैसे पहुंच गई है। 1930 में यूपी के बुलंदशहर में एक छोटे से गांव में जन्मे जेपी ग्रुप के फाउंडर जय प्रकाश गौड़ ने 1950 में रुड़की यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।


इसके बाद उनकी यूपी सरकार में जूनियर इंजीनियर की नौकरी लग गई, लेकिन जय प्रकाश गौड़ को नौकरी में बंध कर रहना पसंद नहीं था और उन्‍होंने 1958 में सिविल कॉन्‍ट्रैक्‍टर के तौर पर काम शुरू कर दिया।


लगभग दो दशक बाद जय प्रकाश गौड़ ने जेपी एसोसिएट के नाम से सिविल इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्‍शन कंपनी के साथ जेपी ग्रुप की नींव रखी। इसके बाद जय प्रकाश गौड़ ने कभी पलट कर नहीं देखा। शुरुआती कारोबारी जीवन में तमाम उतार-चढ़ाव के बाद भी ग्रुप का कारोबार बढ़ता गया।



यमुना एक्सप्रेसवे और फॉर्मूला वन ट्रैक प्रोजेक्ट ने डुबोया 
जेपी ग्रुप ने रियल एस्‍टेट, एजुकेशन और पावर सेक्‍टर से लेकर सीमेंट प्‍लांट व डैम तक की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई। यही नहीं, करीब 2005 से 2008 के बीच ग्रुप को यमुना एक्सप्रेसवे और देश का पहला फॉर्मूला वन ट्रैक बनाने का ठेका भी हासिल हुआ। जानकार बताते हैं कि ये दोनों प्रोजेक्‍ट ग्रुप के लिए आर्थिक बोझ बन गए। इन प्रोजेक्‍ट से जेपी ग्रुप को वह लाभ नहीं मिला, जिसकी उम्मीद समूह और उनके निवेशकों को थी।


ग्रुप के लिए यह एक बड़ा झटका था। इसके साथ ही जेपी ग्रुप के साथ विवादों का सफर भी शुरू हो गया। साल 2014 की कैग रिपोर्ट में जेपी ग्रुप को दिए गए कई प्रोजेक्‍ट पर सवाल खड़े किए गए।
वहीं ग्रुप की कंपनी जेपी इंफ्राटेक के नोएडा और ग्रेटर नोएडा के हाउसिंग प्रोजेक्‍ट विवादों में आ गए। इन प्रोजेक्‍ट्स में होम बायर्स से पैसे तो ले लिए गए लेकिन उन्‍हें पजेशन नहीं मिला। इसका नतीजा ये हुआ कि जेपी इंफ्रा के खिलाफ होम बायर्स ने सड़क से लेकर कोर्ट तक मोर्चा खोल दिया।



घातक साबित हुई नोटबंदी
जेपी ग्रुप ने महंगा कर्ज लेकर इससे उबरने की कोशिश की तभी नोटबंदी का ऐलान हो गया। नोटबंदी के फैसले की वजह से रियल एस्‍टेट सेक्‍टर की रफ्तार सुस्‍त पड़ गई। इससे जेपी ग्रुप की इंफ्राटेक को बड़ा झटका लगा। वहीं कानूनी दबाव बढ़ने की वजह से जेपी ग्रुप पर होम बायर्स को पजेशन देने या पैसा लौटाने का दबाव बढ़ने लगा।



जेपी ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी का  अंत
वहीं कंपनी पर धोखाधड़ी के भी आरोप लगे तो डायरेक्‍टर्स की प्रॉपर्टी भी फ्रीज की गई। इन हालातों से निपटने के लिए जेपी इंफ्रा कर्ज के जाल में फंसती चली गई। वहीं जेपी इंफ्रा के शेयर के भाव भी लुढ़कने लगे और कंपनी की प्रॉफिट को भी झटका लगने लगा। हालत यह हो गई कि जेपी इंफ्रा को दिवालिया प्रक्रिया में जाना पड़ा। बहरहाल, जेपी ग्रुप की इंफ्राटेक को अब 90 दिन में दिवालिया प्रक्रिया को पूरी करनी होगी। इसी के साथ जेपी ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी का अंत हो जाएगा।


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