औरंगाबाद के विष्णुधाम में धूमधाम से मनाई गई बैकुण्ठ चतुर्दशी
औरंगाबाद (स्वतंत्र प्रयाग) बिहार:- औरंगाबाद सदर स्थित ग्राम जम्होर के पुन पुन -बटाने संगम तट पर स्थित विष्णु धाम के प्रांगण में बैकुंठ चतुर्दशी धूमधाम से मनाई गई |इस अवसर पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की गई वैष्णव पद्धति से भोग लगाया गया, साथ ही साथ क्षेत्र एवं विश्व कल्याण हेतु प्रार्थना की गई | क्षेत्रिय मान्यता है कि धर्मस्थल संगम तट पर होने के कारण मानव के सभी मनोकामना की पूर्ति करता है| विष्णु धाम की स्थापना प्रसिद्ध संत परमहंस खाकी बाबा ने किया था | इसका स्थापना काल सैकड़ों वर्ष प्राचीन है |खाकी बाबा एक सिद्ध सन्यासी थे।
परिसर में हनुमान जी ,सूर्य भगवान, शंकर भगवान ,काली माता की भव्य प्रतिमा है जिनके दर्शन मात्र से मानव मन भावविभोर हो जाता है |साथ ही साथ बद्रीनाथ भगवान, नागेश्वरा नंद ब्रह्मचारी जी की समाधी , खाकी बाबा की समाधि भी दर्शकों को आकर्षित करती है इसी परिसर में अद्भुत स्थल भी हैं त्रिकुट स्थल जो स्थापना काल से ही उस स्थान पर तीन वृक्ष हैं पीपल,बर और पाकर जो त्रिदेव स्वरूप ब्रह्मा विष्णु और महेश सदृश्य हैं यही नहीं इसी पेड के नीचे जब मानव का मन विचलित हो जाता है तो वह यहां आकर आत्मिक शांति को प्राप्त करता है|
इसके नीचे दूरदराज से आए हुए साधु सन्यासी तपस्या भी करते हैं और अपने साधना को पूर्ण करते हैं| इसके अलावा परिसर में श्वेत बांध रामेश्वरम से लाया गया पत्थर है जो पानी में डूबता नहीं है | दर्शनार्थियों के लिए कौतूहल का विषय बना रहता है वैसे तो विष्णु धाम पूरा परिसर ही शोध का विषय है |
विशाल बाग बगीचा परिसर प्राकृतिक उपादानो से परिपूर्ण है| पुराणों में वर्णित है कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर संगम तट पर स्नान जप तप और ध्यान किया जाए तो यह विशेष फलदाई होते हैं| साथ ही सांथ अगर संगम तट पर विष्णु भगवान का मूर्ति हो और उनकी आराधना की जाए तो और भी विशेष फलदाई होते हैं अर्थात पुराणों में वर्णित यह स्थल सत्यता से परिपूर्ण है और प्राचीनता का द्योतक है इस स्थल पर किया गया पूजा लाखों गुना बढ़ जाता है यही नहीं संगम तट पर एक विशाल मेला भी लगता है जहां श्रद्धालु संगम में स्नान करते हैं और मेला का आनंद उठाते हैं |
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