अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका, फिच ने GDP ग्रोथ अनुमान घटाकर 5.5 फीसद किया
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नई दिल्ली (स्वतंत्र प्रयाग): विधानसभा चुनावों की गहमागहमी के बीच गुरुवार को अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार को एक और झटका देने वाली खबर सामने आई है। रेटिंग एजेंसी फिच ने इस वित्त वर्ष यानी 2019-20 के लिए सकल घरेल उत्पाद (GDP) में बढ़त के अनुमान को घटाकर सिर्फ 5.5 फीसदी कर दिया है। इसका कारण बताते हुए फिच ने कहा कि बैंकों के कर्ज वितरण में भारी कमी आने की वजह से ग्रोथ रेट छह साल के निचले स्तर पर पहुंच सकता है।बता दें कि यह ग्रोथ अनुमान में बड़ी कमी है, क्योंकि इसके पहले जून में फिच ने वित्त वर्ष के लिए जीडीपी में 6.6 फीसदी की बढ़त होने का अनुमान जारी किया था। फिच ने कहा कि हाल में सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स कटौती जैसे जो कदम उठाए हैं, उसका असर अर्थव्यवस्था पर धीरे-धीरे आगे चलकर होगा।
गौरतलब है कि यह रिजर्व बैंक के अनुमान से भी कम है, जिसने अक्टूबर में कहा था कि इस वित्त वर्ष में जीडीपी में 6.1 फीसदी की बढ़त हो सकती है।
फिच ने कहा कि सरकार के इन कदमों का फायदा अगले वित्त वर्ष (2020-21) में देखने को मिल सकता है, जब जीडीपी में ग्रोथ 6.2 फीसदी हो सकती है. उसके अगले वर्ष यानी 2021-22 में जीडीपी ग्रोथ 6.7 फीसदी हो सकती है।
गौरतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अप्रैल-जून में लगातार पांचवें तिमाही में सुस्त रही है, जब जीडीपी में ग्रोथ महज 5 फीसदी रही है। यह साल 2013 के बाद का सबसे कम ग्रोथ है। एक साल पहले की समान अवधि में जीडीपी में ग्रोथ 8 फीसदी की हुई थी।फिच ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'कमजोर व्यापक तौर पर दिख रही है, घरेलू खर्च और बाहरी मांग दोनों की गति कमजोर पड़ रही है। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में कर्ज वितरण काफी सिकुड़ रहा है।'
इसके पहले इसी अक्टूबर में ही मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने भी 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया था। पहले मूडीज ने जीडीपी में 6.2 फीसदी की ग्रोथ होने का अनुमान जारी किया था।
सितंबर महीने में रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने दावा किया था कि भारत में आर्थिक सुस्ती अंदेशे से ज्यादा व्यापक और गहरा रहा है। तब क्रिसिल ने भी जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया था। क्रिसिल के मुताबिक 2019-20 में देश की जीडीपी ग्रोथ 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है। इससे पहले रेटिंग क्रिसिल ने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 6.9 फीसदी पर रखा था। क्रिसिल के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में ठहराव और निजी उपभोग में बड़ी गिरावट आई है. इस वजह से जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटा है।बता दें कि मोदी सरकार ने अगले पांच साल में देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके लिए लगातार कई साल तक सालाना 9 फीसदी की ग्रोथ रेट होनी चाहिए।
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