40 सालो से इस मदरसे में हो रही गौवंश की सेवा

                             प्रदेशिक



( स्वतंत्र प्रयाग,) भोपाल के इस मदरसे का नाम है दारुल उल हुसैनी. तूमड़ा गांव में मौजूद इस गौशाला में दीनी तालीम दी जाती है। मदरसे के हाफिज़ और जिम्मेदार यहां गायों की खिदमत करते देखे जाते हैं। 1980 से ये गौशाला यहां बदस्तूर चल रही है।


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसारमदरसे के मुफ्ती मोहम्मद ऐजाज़ कहते हैं कि ना जाने ऐसा क्यों समझा जाता है कि गाय केवल हिन्दुओं के हिस्से में आती हैं. वे पैगम्बर हज़रत मोहम्मद ज़िक्र करते हुए कहते हैं कि नबी ने कहा है कि गाय का दूध अमृत के समान है. बेज़ुबानों की खिदमत करना चाहिए. इसलिए मुस्लिम कौम भी गाय की उतनी ही फिक्र करती है, जितना कोई हिन्दू। मदरसे की खास बात ये है कि यहां के बच्चों को भी गौसेवा की तालीम भी दी जाती है।


जामिया इस्लामिया अरबिया मदरसे की इस गौ-शाला में गायों की देखभाल, उनके इलाज, खान-पान की बेहतरीन व्यवस्था की गई है.मदरसा का स्टाफ कहता है दूध तो दूसरे पशु भी देते हैं, लेकिन स्वास्थ्य के लिए जो गुण गाय के दूध में रहते हैं, वो दूसरे पशुओं के दूध में नहीं रहते.मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी मदरसे में गौ-शाला खोली गई है.जामिया इस्लामिया अरबिया एक ऐसा मदरसा है, जो प्रदेश के दूसरे मदरसों के लिए मिसाल बना हुआ है.


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