कभी था चमगादड़ों का बसेरा, आज शिव भक्तों की आस्था का केंद्र बनी तांडव गुफा।
धार्मिक
सोलन(स्वतंत्रप्रयाग) - शिमला के समीप कुनिहार क्षेत्र के पूूूूर्वमें ड्यार के नाम से विख्यात गुफा आज शिव तांडव गुफा के नाम से प्रदेश सहित विश्व मानचित्र पर अपना नाम दर्ज करवा चुकी है। अगर गुफा के इतिहास पर गौर किया जाए तो ।0 के दशक में गुफा तक सकीर्ण रास्तो से होकर बमुश्किल पहुंचा जाता था।
एक समय था जब विकास से दूर ड्यार का मखमली स्पर्श नही भुला जा सकता था।गुफा में प्रवेश करते ही गहन अंधकार को प्रकाशमान करती बीयूल या सुखी चीड़ की टहनियों के प्रकाश में ही प्राकृतिक सौंदर्य व स्वयं भू शिव लिंग के दर्शन दिन के समय हो सकते थे।क्योंकि गुफा में शिव भक्त चमगादड़ो का बसेरा था,जो गुफा के पिरामिडों से उल्टे लटके शिव भक्ति में लीन रहते थे।
गुफा के भीतर प्रवेश करते ही विकास के आलोक से पूर्व एक गहरी खाई व कंही भीतर अदृश्य दूर तक जाने वाला नाला व एक गोपनीय मार्ग जो कि लोक कथाओं के अनुसार गम्बर पुल पर स्थित बृजेश्वर देव मन्दिर तक जाता था।
गुफा के भू भाग का मुख्य आकर्षण पूर्व दिशा की ओर प्रवेश द्वार के पीछे विराजमान है शेष नाग जी ,जो अपने मस्तक के ऊपर समस्त गुफा के भार उठाये हुए है।शेष नाग जी का इस समस्त गुफा का भार वहन करना एक आश्चर्यजनक अजूबा ही है।गुफा का एक ओर आश्चर्यजनक सत्य यह भी है,कि स्वयं भू शिवलिंग की पिंडी के ठीक ऊपर लटके हुए पिरामिडों में बने गाय के स्तनों से जनश्रुति व साक्ष्य के आधार पर सतयुग में दूध की धार टपकती थी। जानकारी के मुताबिक 19।5 में लोक निर्माण विभाग में कार्यरत कनिष्ठ अभियंता श्याम लाल ने गुफा के प्रवेश द्वार के मुहाने को खुलवा कर यंहा पर एक लकड़ी का बड़ा दरवाजा लगवाया था। इससे पूर्व गुफा में पेट के बल लेट कर ही प्रवेश किया जा सकता था।
90 के दशक के दौरान गुफा में एक संत महात्मा गोकुलानन्द जी ने 30 दिनों तक निराहार तप किया था व तबसे इस शिव गुफा ने अपना रंग रूप आकार बदलना आरम्भ किया।
उस दौरान हाटकोट निवासी स्वर्गीय हरि चन्द शर्मा ने गुफा के साथ लगती अपनी जमीन गुफा समिति को दान दी व उस समय समिति की प्रधान नर्वदा कंवर व समिति के सदस्यों के सहयोग से गुफा के साथ भवन निर्माण कार्य आरम्भ हुआ। विकास में जन सहयोग,पर्यटन विभाग व क्षेत्र के कई दानवीर लोगो के सहयोग से आज शिव तांडव गुफा के भवन में बड़े बड़े हाल,कमरों सहित लंगर भवन बन चुके है।
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